प्राचीन काल में भारत की कई जगहों पर कुछ ऐसे मंदिर का निर्माण हुआ, जो आज किसी अद्भुत से कम नहीं है। खासकर दक्षिण भारत के केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्य में निर्मित कई मंदिर विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं। इन्हीं विशाल और प्राचीन मंदिरों में से एक है श्री विरुपाक्ष मंदिर।
द्रविड़ स्थापत्य शैली से निर्मित विरुपाक्ष मंदिर सिर्फ दक्षिण भारत में भी नहीं बल्कि विश्व मंच पर भी प्रसिद्ध है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर कई अनसुनी कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। आज इस लेख में हम आपको श्री विरुपाक्ष मंदिर के बारे में करीब से बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
कहां है मंदिर?
उत्तरी कर्नाटक के बेल्लारी जिले में बेंगलुरु से लगभग 350 किमी की दूरी पर मौजूद है। आपको यह भी बता दें कि यह यह मंदिर हम्पी शहर से कुछ ही दूरी पर मौजूद है। माना जाता है कि हप्पी रामायण काल का किष्किंधा हुआ करता था। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा प्राचीन काल से होती आ रही है। एक अन्य तथ्य यह है कि इस मंदिर का इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा है।
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क्या सच में भगवान शिव ने रावण को दिया था शिवलिंग?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह मंदिर भगवान विरुपाक्ष और उनकी पत्नी देवी पंपा को समर्पित है। विरुपाक्ष, भगवान शिव का ही एक रूप है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण जब शिव जी के दिए हुए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, तो यहां रुका हुआ था और उसने इसी जगह एक बूढ़े आदमी को शिवलिंग पकड़ने के लिए दिया था और उस बूढ़े आदमी ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया था, तब से शिवलिंग इसी जगह मौजूद है।(गोवा के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर)
दीवार पर मौजूद चित्र भी है रोचक
शायद, आपको जानकारी हो, अगर नहीं है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर को 800 साल से भी अधिक प्राचीन मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर की दीवारों पर उस प्रसंग के चित्र बने हुए हैं जिसमें रावण शिव से शिवलिंग उठाने की प्रार्थना कर रहा है और भगवान शिव इसे इंकार कर देते हैं। एक अन्य पौराणिक कथा यह कि इस मंदिर का निर्माण तैरने वाले पत्थरों से किया है।
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द्रविड़ शैली का है बेहतरीन नमूना
द्रविड़ स्थापत्य शैली में ये मंदिर ईंट तथा चूने से बना है। इस मंदिर के पास मौजूद छोटे-छोटे मंदिर भी द्रविड़ स्थापत्य शैली के हैं। हेम कूट पहाड़ी की तलहटी पर श्री विरुपाक्ष मंदिर यूनेस्को की घोषित राष्ट्रीय धरोहरों में भी शामिल है।
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