बारिश के मौसम में होने वाली नमी और उमस खाने-पीने की चीजों को खराब कर देती है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान होता है अचार को। खासतौर पर लहसुन और मिर्च के अचार में फफूंद लगने का खतरा इस मौसम में कई गुना बढ़ जाता है।
ऐसे में अचार से भरी बर्नी भी लोग फेंकने पर मजबूर हो जाते हैं। हालांकि,दादी-नानी के नुस्खों में इसका इलाज आसानी से मिल जाएगा। ये तरकीबें आपके अचार को साल भर ताजा और स्वादिष्ट बनाए रख सकती हैं। आइए जानते हैं 5 ऐसी अचूक तरकीबें, जो आपके अचार को मानसून की मार से बचाकर रखेंगी और उसे हमेशा फ्रेश रखेंगी।
अगर आपको लगता है कि खराब मौसम में अचार को सुखाना मु्श्किल है, तो आप ओवन की मदद ले सकती हैं। अचार डालने से पहले एक बार लहसुन और मिर्च को सुखा लें और फिर अचार डालें। आप लहसुन और मिर्च को बेहद धीमी आंच पर (लगभग 100-120 डिग्री सेल्सियस) ओवन में कुछ देर के लिए रख सकती हैं, ताकि उनकी नमी पूरी तरह उड़ जाए। एक बेकिंग ट्रे पर बटर पेपर या पार्चमेंट पेपर बिछाएं।
लहसुन और मिर्च को एक सिंगल लेयर में ट्रे पर फैला दें, ध्यान रहे कि वे एक-दूसरे पर न चढ़ें। लहसुन और मिर्च तब तक सुखाएं जब तक वे पूरी तरह से सूख न जाएं और उनमें कोई नमी महसूस न हो।
आमतौर पर इसमें कुछ घंटों का समय लग सकता है। जब लहसुन और मिर्च सूख जाएं, तो उन्हें ओवन से निकाल कर पूरी तरह से ठंडा होने दें। ठंडा होने के बाद ही उनका इस्तेमाल अचार बनाने के लिए करें।
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यह एक पुरानी और शायद कम इस्तेमाल की जाने वाली तरकीब है, जो आपके अचार को फफूंद से बचाने में बेहद कारगर है। अचार की बर्नी का ढक्कन कसने के बाद भी, हवा में मौजूद नमी या धूल अंदर जा सकती है। इससे बचने के लिए, एक साफ, सूखा सूती कपड़ा लें और उसे बर्नी के ढक्कन पर कसकर बांध दें।
कुछ लोग इसे 'गांधी टोपी' भी कहते हैं। यह कपड़े की परत एक अतिरिक्त फिल्टर का काम करती है। यह हवा से आने वाली नमी को सोख लेती है और धूल को सीधे अचार के संपर्क में आने से रोकती है। इससे आपके अचार पर एक प्रोटेक्टिव लेयर बनती है और वह लंबे समय तक ताजा रहता है।
अचार को खराब होने से बचाने में सेंधा नमक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली नेचुरल प्रिजर्वेटिव की तरह भी काम करता है। सेंधा नमक अचार में मौजूद पानी या नमी को सोख लेता है। इसके लिए आप जितने किलो अचार बना रही हैं, उसका 10-15% नमक का उपयोग किया जाना चाहिए।
यदि आप 1 किलो अचार बना रही हैं, तो 100 से 150 ग्राम सेंधा नमक का उपयोग कर सकती हैं। मिर्च या लहसुन के अचार में यह मात्रा थोड़ी कम हो सकती है। सेंधा नमक में प्राकृतिक एंटी-माइक्रोबियल गुण भी होते हैं जो बैक्टीरिया और फफूंद को बनने से रोक सकते हैं।
सरसों का तेल अपने प्राकृतिक एंटी-माइक्रोबियल गुणों के लिए जाना जाता है। वहीं, तिल का तेल मिलाने से स्वाद भी बढ़ता है और अचार खराब भी नहीं होता। ध्यान रखें अचार तेल में पूरी तरह डूबा रहे, क्योंकि तेल की परत हवा और नमी के बीच एक अवरोधक का काम करती है।
तिल का तेल काफी स्टेबल होता है और आसानी से खराब नहीं होता, जिससे यह अचार को लंबे समय तक प्रिजर्व रखने में मदद करता है। तिल का तेल एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो अचार को ऑक्सिडेशन से बचाता है। इससे अचार का रंग भी बरकरार रहता है।
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लहसुन और मिर्च के अचार में थोड़ी मात्रा में सिट्रिक एसिड (टाटरी) मिलाना उसके पीएच स्तर को कम करता है। इससे अचार में एसिडिक नेचर थोड़ा बढ़ता है, जिससे फफूंद और बैक्टीरिया नहीं पनप सकते हैं। यह एक एक्स्ट्रा प्रोटेक्टिव लेयर प्रदान करता है। एक चम्मच सिट्रिक एसिड या सिरका अचार को फफूंद से बचाने में मदद कर सकता है।
यह अचार को एक हल्की खटास देता है, जो उसके स्वाद को बढ़ाती है और उसे अधिक चटपटा बनाती है। सिट्रिक एसिड डालने से अचार का रंग भी बेहतर होता है और उसका स्वाद भी बढ़ जाता है।
ये ट्रिक्स तो हैं ही कमाल, इसक साथ आप ध्यान रखें कि अचार में हमेशा साफ चम्मच डालें। अचार को ट्रांसफर करते वक्त कभी भी स्टील या प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल न करें। अगर आप देख रही हैं कि अचार में तेल कम हो गया है, तो थोड़ा तेल गर्म करके ठंडा करें और फिर अचार में डालकर मिला लें।
अब आप मानसून में भी अपने लहसुन और मिर्च के अचार का मजा आसानी से ले सकती हैं। ये ट्रिक्स अचार को फफूंद से भी बचाएंगी औ उसके स्वाद को भी बेहतर बनाने में मदद करेंगी।
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