भारत का हर त्यौहार मिठाइयों के बिना बिल्कुल अधूरा है। हम इनके बिना किसी भी त्यौहार की कल्पना ही नहीं कर सकते...पर काजू कतली हर किसी की फेवरेट होती हैं....इसलिए जब भी कुछ मीठा खाने की बात होती है, तो काजू कतली का ही ख्याल मन में आता है। हालांकि, काजू कतली एक ऐसी मिठाई है, जो हमें हर दुकान पर आसानी से मिल जाएगी, लेकिन त्यौहार के वक्त घर पर ही कतली बनाई जाती हैं।
हालांकि, कई लोगों को लगता है कि काजू कतली सिर्फ भारत में ही बनाई जाती है, जबकि यह अन्य देशों में भी यह उतना ही मशहूर है। जी हां, भारत का इस मिठाई का इतिहास काफी पुराना है, तब इसे बनाने का तरीका बिल्कुल अलग था जबकि अब तरीका बिल्कुल बदल गया है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं काजू कतली बनाने का आसान तरीका-
कतली का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है और इसकी कहानी भी बहुत सिंपल है। कहा जाता है कि काजू कतली का आविष्कार मुगल काल में हुआ था जिसे सबसे पहले जहांगीर के शासन काल में बनाया गया था। कहा जाता है कि जहांगीर ने काजू कतली को सिख गुरु को सम्मान देने के लिए शाही रसोई में काजू की बर्फी गाढ़े दूध या रबड़ी, कुचले हुए काजू और बादाम से बनाई जाती थी।
पहले इस मिठाई को काजू-बर्फी के नाम से भी जाना जाता था, लेकिन वक्त के साथ काजू कतली कहा जाने लगा। (काजू से आप बना सकती हैं ये सारी चीजें)
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कहा जाता है कि जहांगीर ने सिख गुरुओं और राजाओं को बंदी बना लिया था और लंबे समय तक ग्वालियर के किले में बंदी बनाकर रखा था। बंदियों की पीड़ा स्पष्ट थी और उनके रहने की स्थिति दयनीय भी थी। सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोविंद, बंदियों में से एक थे। (झारखण्ड की इन 3 लजीज स्वीट रेसिपीज)
अपने निर्देशों के साथ, राजा ने किले के अंदर कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता की और सभी कैदियों और गार्डों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया। इसके बाद बादशाह जहांगीर ने घोषणा की कि गुरु को मुक्त कर दिया जाएगा और जो कोई भी उनके वस्त्र धारण कर सकता है, वह मुक्त हो जाएगा।
गुरु हरगोविंद ने गुप्त रूप से 52 राजाओं को आदेश दिया कि वे जेल में हर किसी के द्वारा पहने जाने के लिए काफी लंबा वस्त्र बनाएं। दीवाली पर, सभी कैदियों को उनके लंबे वस्त्र पहने हुए मुक्त कर दिया गया था। बस इस खुशी में काजू कतली को बनाया गया और सभी को परोसा गया।
काजू कतली को जहांगीर ने लखनऊ शहर में बनाया गया था, जो अपनी समृद्ध पाक संस्कृति के लिए जाना जाता था। काजू को बारीक पीसकर चीनी और घी में मिलाकर मिठाई बनाई जाती थी। मिश्रण को धीमी आंच पर तब तक पकाया जाता था जब तक कि ये गाढ़ा न हो जाए।
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इसके बाद, काजू कतली पूरे भारत में लोकप्रिय हो गई और अब यह देश की सबसे पसंदीदा मिठाइयों में से एक है। यह अन्य देशों को भी निर्यात किया जाता है और भारतीय डायस्पोरा के बीच एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है।
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