अजीब है गढ़मुक्तेश्वर गंगा मंदिर का रहस्य, इस शिव मंदिर की सीढ़ियों से आती है पानी की आवाज

Garhmukteshwar temple Facts: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित गढ़मुक्तेश्वर गंगा मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़े कई ऐसे रहस्य बताएंगे। जिनको सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे।  
Ancient Temples in India

भारत देश में अनेकों प्राचीन मंदिर हैं। हर मंदिर के पीछे कई कहानियां और रहस्य भी छिपे हैं। आज हम आपको के ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल, आज हम उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित गढ़मुक्तेश्वर गंगा मंदिर से जुड़े की रोचक किस्सों के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर को शिव वल्लभ के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान शिव का काफी सालों पुराना मंदिर है, जो कि गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। मान्यता के अनुसार यहां दर्शन करने के बाद अभिशप्त शिवगणों की पिशाच योनि से मुक्ति हुई थी। जिसके बाद इसका नाम गढ़मुक्तेश्वर पड़ा। भक्तों का मानना है कि यहां दर्शन कर लेने मात्र से ही सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।

कब हुई थी इस मंदिर की स्थापना ?

ganga

वैसे तो इस बात आप कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है कि इस मंदिर की स्थापना कब हुई थी, लेकिन इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना बताया जा रहा है। जबकि मंदिर के नवीन स्वरूप को बने हुए करीब 600 साल का समय बीत चुका है। इस मंदिर में शिवलिंग के साथ माता गंगा और ब्रह्मा जी की सफेद रंग की मूर्ति बनी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव ने परशुराम जी से यहां शिव मंदिर की स्थापना करवाई थी। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि महाभारत काल में युधिष्ठिर ने भी यहां पूजा-पाठ किया था।

मंदिर की सीढ़ियों से आती है आवाज

garmukteshwar mandir

यह मंदिर लगभग 80 फिट टीले पर बना हुआ है। किसी जमाने में इस मंदिर में करीब एक सौ सीढ़ियां हुआ करती थीं, लेकिन अब सड़क ऊंची हो जाने के बाद अब 84 के आसपास ही रह गई हैं। वहीं मंदिर की इन सीढ़ियों में एक विशेष चमत्कार भी है। कहा जाता है जब भी कोई श्रद्धालु मंदिर की सीढ़ियों और कोई पत्थर मारता है तो पानी में पत्थर मारने जैसी ध्वनि सुनाई देती हैं। जैसे मानों इन सीढ़ियों में गंगा मां का पवित्र जल बह रहा हो। आजतक बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है। पूरे साल इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में एक प्राचीन कुआं भी है। मान्यता है कि इस कुएं का रास्ता गंगा नदी से मिला हुआ है। ऐसे में पहले यह कुआं गंगा के पानी से भर जाता था।

कैसे पहुंचे गढ़मुक्तेश्वर मंदिर ?

कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आकर गंगा में डुबकी लगाते हैं। इस दौरान यहां करीब 10 दिनों तक मेला भी चलता है। बहुत लोग यहां मुंडन संस्कार और पिंड दान जैसे धार्मिक कर्म-कांड भी करने आते हैं। गढ़मुक्तेश्वर मंदिर दिल्ली से करीब 119.2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यानि आप दिल्ली से महज 2 या 3 घंटे में इस जगह पर पहुंच सकते हैं। यहां आप बाय रोड अपनी कार, बाइक या इसके अलावा बस और ट्रेन से भी जा सकते हैं। ऐसे में आप वीकेंड पर दो दिन की ट्रिप प्लान कर सकती हैं।

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Image Credit: wikipedia/jagran

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