Kuttu VS singhara Flour: अधिकतर लोग व्रत के दिनों में फलाहार करते वक्त कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से बनी चीजों का सेवन करते हैं। कई व्रत ऐसे होते हैं जिसमें लोग अन्न से अपना व्रत खोलते हैं तो कुछ ऐसे होते हैं जिनमें कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से बनी चीजें खाई जाती हैं। कुट्टू के आटे से हम पूड़ी, पकौड़ी, चीला आदि जैसे चीजें बनाते हैं। जबकि सिंघाड़े के आटे से बर्फी, पकौड़ी आदि बनाई जाती है। यह दोनों आटे देखने में लगभग एक जैसे दिखते हैं, लेकिन इनमें बहुत ज्यादा अंतर होता है। क्या आपने आजतक सोचा है यह दोनों आटे एक-दूसरे से आखिर किस तरह अलग होते हैं, तो आपको बता दें इनके रंग रूप से लेकर पोषक-तत्व सब कुछ लग होते हैं। साथ ही, इन दोनों का ही सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में कुट्टू और सिंघाड़े के आटे के बीच का फर्क बताने जा रहे हैं। आखिर यह दोनों किस तरह एक-दूसरे से अलग हैं।
कुट्टू का आटा
डाइट्री फाइबर से भरपूर कुट्टू का आटा सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इंग्लिश में कुट्टू के आटे को Buckwheat Flour कहा जाता है। इसको खाने के बाद काफी देर तक आपको पेट भरा हुआ महसूस होता है। यह शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है। इसकी तासीर गर्म होती है। कुट्टू का आटा प्रोटीन, फाइबर और आयरन से भरपूर होता है। गर्म होने की वजह से इसको खाने के बाद बहुत प्यास लगती है। हालांकि इस आटे में कैलोरी की मात्रा ज्यादा होती है। व्रत में इस्तेमाल होने वाला एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है। इसके बीज को पीसकर आटा तैयार किया जाता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए इसका सेवन अच्छा होता है। साथ ही यह वजन घटाने में भी मददगार होता है। कुट्टू के आटे का रंग हल्का ब्लैक होता है। इसको कुट्टू के बीज से बनाया जाता है। इससे पूड़ी, चीला, पराठा, पकौड़ी आदि बनाया जाता है।
सिंघाड़े का आटा
कुट्टू के मुकाबले सिंघाड़े का आटा हल्का होता है। ऐसे में यह पाचन में भी ठीक रहता है। इस आटे की तासीर ठंडी होती है। कुट्टू के मुकाबले इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। सिंघाड़े के आटे को इंग्लिश में Water Chestnut Flour कहते हैं। यह आटा ग्लूटेन-फ्री होता है। इस आटे को सिंघाड़े के फल को सुखाकर पीसकर तैयार किया जाता है। सिंघाड़े के आटे में फाइबर, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इस आटे का हल्का सफेद होता है। इसके सेवन से भी ब्लड शुगर लेविल कंट्रोल रहता है। इसको कुट्टू के आटे में मिलाकर पूड़ी, टिक्की आदि बनाई जाती है। इसके अलावा इससे सिंघाड़े की बर्फी और हलवा भी बनाया जाता है।
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