जिन लोगों को आउटडोर एक्टिविटीज करना अच्छा लगता है वे अक्सर हाइकिंग या ट्रेकिंग करने का मन बनाते हैं। इन दोनों में ही यकीनन काफी मजा आता है। लेकिन अधिकतर लोग इन दोनों के बीच का अंतर नहीं जानते हैं। वे हाइकिंग और ट्रेकिंग दोनों को एक ही समझते हैं और इन दोनों शब्दों को एक-दूसरे की जगह इस्तेमाल करते हैं। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि ये दोनों ही मजेदार आउटडोर एक्टिविटीज हैं। लेकिन फिर भी आपको इन दोनों के बीच के अंतर को समझना और जानना चाहिए।
जहां हाइकिंग एक लंबी पैदल यात्रा है, जिसमें सुंदर प्राकृतिक वातावरण में हाइकिंग ट्रेल्स पर चलना होता है। वहीं, ट्रेकिंग उन क्षेत्रों में पैदल की जाने वाली एक लंबी यात्रा है जहां आमतौर पर आने-जाने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं होते हैं। यह एक दिन की ट्रिप नहीं है। इसमें आप अज्ञात रास्तों पर कई चुनौतियों का सामना भी करते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको विस्तारपूर्वक हाइकिंग और ट्रेकिंग के बीच के अंतर के बारे में बता रहे हैं-
समय का होता है अंतर
जहां हाइकिंग वास्तव में एक दिन की ही एक्टिविटी होती है। अमूमन हाइकिंग करते हुए आप शाम को वापिस लौट आते हैं। जबकि, ट्रेकिंग कई दिनों की ट्रिप (वीकेंड ट्रिप का ऐसे बनाएं प्लान) होती है। जिसमें आप कैंपसाइट्स पर ओवरनाइट स्टे करते हैं या फिर जगह ढूंढकर कहीं रुकते हैं। इसमें आपको लंबा समय लग सकता है।
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अलग-अलग सामान की होती है जरूरत
जब आप हाइकिंग या ट्रेकिंग पर जाते है तो आपकी बैगपैकिंग भी काफी अहम् है। आमतौर पर, हाइकिंग के दौरान कंफर्टेबल फुटवियर, मौसम के अनुसार कपड़े, एक बैकपैक और हाइकिंग के लिए आपको डंडे की जरूरत हो सकती है। लेकिन ट्रेकिंग के दौरान आपको कई तरह के सामान की जरूरत पड़ती है। आप रात में रूकने के लिए जरूरी सामान, कैंपिंग से जुड़ा जरूरी सामान यहां तक कि कभी-कभी इलाके के आधार पर अधिक टेक्निकल गियर ले जाने की जरूरत हो सकती है। इस तरह ट्रेकिंग के लिए आपको अधिक सामान की आवश्यकता होती है।
अलग होता है मकसद
हाइकिंग और ट्रेकिंग करने के पीछे का मकसद भी अलग होता है। जहां हाइकिंग को एक एंटरटेनिंग एक्टिविटी के रूप में देखा जाता है। जहां पर लोग नेचर के करीब होते हुए कुछ बेहतरीन एक्टिविटीज का लुत्फ उठा सकते हैं। वहीं, ट्रेकिंग एक एडवेंचर्स एक्टिविटी है, जिसमें आप कई तरह के चैलेंजेस का सामना करते हैं। किसी नए डेस्टिनेशन (डेस्टिनेशन वेडिंग क्र लियर 5 हिल स्टेशन) पर आपको कई तरह की कठिनाइयों से गुजरते हुए अनजाने रास्तों को भी अनुभव करना होता है।
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रास्ते में होता है फर्क
हाइकिंग और ट्रेकिंग के रास्तों में भी काफी अंतर होता है। जहां हाइकिंग अच्छी तरह से बनाए गए रास्तों पर की जाती है, जिसमें प्रकृति को महसूस करते हुए आसानी से सैर करने से लेकर अधिक मुश्किल चढ़ाई तक शामिल हैं। हाइकिंग के लिए ट्रेल्स अलग-अलग तरह के हो सकते हैं, लेकिन यह आसानी से एक्सेसेबल होते हैं। वहीं, ट्रेकिंग में ट्रेक अधिक चैलेंजिंग होते हैं। इसमें लोगों को ऊबड़-खाबड़ रास्तों से लेकर, अधिक ऊंचाई और दूरदराज के एरिया में जाना पड़ सकता है। ऐसे में उनका फिटनेस लेवल अच्छा होना बेहद जरूरी है।
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