आप अभी तक दिल्ली के लोटस टेंपल के बारे में जानते होंगे, जो संगमरमर से बनाया गया है। लेकिन बहुत कम लोग है जो इस अनोखे मंदिर के बारे में जानते हैं। तस्वीर में नजर आ रहा यह मंदिर भारत के तेलंगाना में स्थित है।
इसकी खूबसूरती भी बिल्कुल वैसी ही है, जैसा आप दिल्ली के इस लोटस टेंपल को देखकर अहसास करते हैं। लेकिन इस मंदिर की खास बात यह है कि इसमें मंदिर एक कमल पर बना हुआ है।
एक बड़ा सा कमल का फूल जिस पर मंदिर का बना होना, वाकई अद्भुत कला को दर्शाता है। कमल के फूल पर बने होने की वजह से इस मंदिर को लोटस टेंपल कहा जाता है।
कहां स्थित है यह अनोखा मंदिर
यह लोटस टेम्पल तेलंगाना के हिमायत नगर स्क्वायर, मोईनाबाद मंडल, रंगारेड्डी जिले में स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप चिलकुर जाने के रास्ते से निकल सकते हैं।
इस मंदिर के बगल में श्री स्वामी नारायण अंतर्राष्ट्रीय गुरुकुल भी है। यह गुरुकुलम ही इस मंदिर का रखरखाव कर रहा है। यह गुरुकुलम स्कूल मंदिर के बगल में है।
भगवान शिव की होती है पूजा
यहां भगवान शिव के लिंग रूप में दर्शन होते हैं। यहां का शिवलिंग भी बेहद खास है। इस लिंग पर रुद्राक्ष, त्रिनेत्र और नाभि स्वाभाविक रूप से दिखाई देते हैं। इसे देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसे कि आप सच में भगवान को सामने देख रहे हैं। (ये मंदिर बेहद सुकून का अहसास करवाते हैं)
कहा जाता है कि यह शिवलिंग भगवान शिव की कृपा से पुरुषोत्तम भाई नामक भक्त को नर्मदा नदी के तट पर मिला था। मंदिर के चारों चारों ओर हनुमान, लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी, राधा कृष्ण, वेंकटेश्वर स्वामी जैसे विभिन्न देवताओं के दर्शन होंगे।
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पंडित नहीं भक्तों द्वारा होता है अभिषेक
यहां सुबह 8 बजे से पूजा होती है। पहले आने वाले भक्तों के हाथों ही भगवान का पहला अभिषेक किया जाता है। यह नि:शुल्क होता है। इसके बाद में अभिषेक के लिए 201 रुपये चार्ज लगता है।
मंदिर के दोनों तरफ आपको दो बड़े कलश देखने को मिलेंगे। आपने अपने जीवन में इतना बड़ा बर्तन कभी नहीं देखा होगा। (तेलंगाना के इन 5 खूबसूरत डेस्टिनेशन्स पर जरूर घूमने जाएं)
इस मंदिर के परिसर में एक यज्ञशाला और गौशाला भी है, साथ ही मंदिर परिसर में गुरुकुलम द्वारा एक फूड कोर्ट की भी व्यवस्था की गई है। फूड कोर्ट के बगल में छोटे बच्चों के खेलने के लिए एक पार्क भी है।
इसका प्रवेश शुल्क 10 रुपये है। यहां आप सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
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कैसे पहुंचे?
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए मेहदीपट्टनम और सिकंदराबाद से भी कई बसें हैं। आप अगर दिल्ली से जा रहे हैं, तो आपको सिकंदराबाद तक सीधी ट्रेन भी मिल जाएगी। जो लोग चिलकुर जाना चाहते हैं वे चिलकुर जाने के बाद इस मंदिर के दर्शन जरूर कर सकते हैं।
चिलकुर बालाजी को वीजा वाले बालाजी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि बाबा के दर्शन मात्र से लोगों की नौकरी लग जाती है। यह मंदिर चिलकुर बालाजी मंदिर से 3 किमी और मेहदीपट्टनम से 18 किमी दूर है।
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Image Credit- Insta
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