सिरसी का सहस्रलिंग तीर्थ: जहां नदी के भीतर मौजूद हैं हजारों शिवलिंग

आइए जानें कर्णाटक के सिरसी में स्थित एक ऐसा तीर्थ स्थान सहस्रलिंग के बारे में, जहां नदी के नीचे हजारों शिवलिंग मौजूद हैं। 

sahastra linga temple main

भारत में कई मंदिर और कई ऐसे तीर्थ स्थल हैं जो आश्चर्य और रहस्यों से भरे हैं। किसी मंदिर में मान्यता है कि आज भी भगवान् आते हैं और अपने भक्तों को आशीष प्रदान करते हैं तो किसी मंदिर में ऐसी ज्योत प्रज्ज्वलित हो रही है जिसे हवा भी नहीं बुझा पाती है।

कुछ ऐसे ही आश्चर्य से भरपूर एक तीर्थ स्थल है कर्नाटक के सिरसी राज्य का सहस्रलिंग तीर्थ। ये एक ऐसा तीर्थ स्थान है जहां शलमाला नदी में आज भी हजार शिवलिंग नज़र आते हैं। जब नदी का पानी थोड़ा कम हो जाता है उस दौरान इन सभी शिवलिंगों को आसानी से देखा जा सकता है। आइए जानें क्या ख़ास है इस तीर्थ स्थान में और इसका इतिहास क्या है ?

सिरसी के सोंडा गांव में स्थित है

sahasr ling temple

सोंडा गाँव के पास सिरसी से लगभग 17 किमी दूर, शांत शलमाला नदी बहती है। जंगलों से घिरी इस खूबसूरत नदी का एक हिस्सा एक अविश्वसनीय विरासत और इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए दिखाई देता है। शलमाला नदी के तल में विशाल चट्टानें हैं - उनमें से कुछ को बोल्डर कहा जा सकता है। गहरे भूरे रंग में, वे कठोर ग्रेनाइट पत्थर जैसे प्रतीत होते हैं।

शिवरात्रि में उमड़ती है भक्तों की भीड़

वैसे तो साल भर पर्यटक यहां भारी संख्या में आते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शिवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का मेला लगता है। यहां जाने के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च तक का माना जाता है क्योंकि इस बीच में नदी का स्तर काफी कम हो जाता है जिससे शिवलिंग और सभी आकृतियां साफ नजर आने लगती हैं। मानसून के दौरान नदी का जल स्तर बढ़ने की वजह से सभी शिवलिंग (कैसे करें शिवलिंग की पूजा) पूरी तरह से पानी में डूब जाते हैं।

कई आकारों के हैं शिवलिंग

different size shivling

बड़े और छोटे पत्थरों पर शिवलिंग की आकृति नदी के अंदर से साफ़ दिखाई देती है। मान्यताओं के अनुसार इन सभी शिवलिंगों की संख्या हजार से कहीं ज्यादा है इसलिए इस जगह को सहस्रलिंग तीर्थ के नाम से जाना जाता है। उनमें से ज्यादातर शिवलिंगों के पास नंदी यानी शिव जी का वाहन भी दिखाई देता है। यहां के कुछ पत्थरों में एक से अधिक शिवलिंग भी हैं। उनमें से कुछ आधे खत्म हो गए थे और उन पर नक्काशी किए गए शिवलिंग की रूपरेखा आसानी से नज़र आती है। हर चट्टान पर एक शिवलिंग या दो शिवलिंग मौजूद हैं जो किसी अचम्भे से कम नहीं हैं।

सहस्रलिंग की कथा

shasra linga tempe facts

एक पौराणिक कथा के अनुसार सोंडा या स्वादि अकसप्पा नायक के राजा की कोई संतान नहीं थी। तान प्राप्ति हेतु उन्हें एक ऋषि ने एक सहस्त्र शिवलिंगों के निर्माण करवाने की सलाह दी थी। देवों को प्रसन्न करने के लिए राजा ने शलमालानदी में उपलब्ध लगभग प्रत्येक शिला को शिवलिंग में परिवर्तित कर दिया था। तभी से यहां ये शिवलिंग मौजूद हैं और यहां सभी भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

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नंदी की विशाल प्रतिमा

नंदी की प्रतिमा यहाँ की विशालतम प्रतिमा है। यह लगभग 12 फीट लम्बी तथा 5 फीट चौड़ी है। यह विशालकाय पाषाणी मूर्ति कई मन भारी हो सकती है। वास्तव में यह विशाल नंदी की मूर्ति भी किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

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Image Credit:pixabey

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