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Mahashivratri 2024: आठवें अजूबे से कम नहीं भगवान शिव का यह अनोखा मंदिर, सभी मुरादें होती हैं पूरी

महाराष्ट्र में एक ऐसा शिव मंदिर मौजूद है, जिसे कई लोग आठवें अजूबे से कम नहीं मानते हैं। इस मंदिर का दर्शन करने विश्व के हर कोने से शिव भक्त पहुंचते हैं।  
Editorial
Updated:- 2024-02-21, 18:24 IST

Kailash Temple Aurangabad Maharashtra: हिंदुस्तान असंख्य मंदिरों का घर है। पूर्व भारत से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण भारत में ऐसे करोड़ों शिव मंदिर है, जहां भक्त अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं।

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित कैलाश मंदिर भारत के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित कैलाश मंदिर अनोखा और पवित्र माना जाता है। यह मंदिर एलोरा की गुफाओं में मौजूद है।

कैलाश मंदिर की खास संरचना और खासियत इस कदर प्रचलित है कि इसका दर्शन करने देश के हर कोने से भक्त पहुंचते हैं। इस आर्टिकल में हम कैलाश मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और भक्तों के लिए क्यों खास है आदि बताने जा रहे हैं।

कैलाश मंदिर का इतिहास (Kailash temple history aurangabad maharashtra)

Kailash temple history aurangabad maharashtra

कैलाश मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण प्रथम ने 757-783 ई के बीच करवाया था। कहा जाता है कि इसका निर्माण करने के लिए करीब लगभग 40 हजार टन वाले पत्थर का काटकर निर्माण करवाया गया है।

इतिहास के अनुसार कैलाश मंदिर को बनवाने में करीब 7000 हजार से भी अधिक मजदूर लगे थे। यह विशाल और प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस विशाल मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग भी विराजमान है। 

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कैलाश मंदिर का रहस्य (Kailasa Temple Mystery)

Kailasa Temple Mystery

कैलाश मंदिर का रहस्य बेहद दिलचस्प है। कई लोगों का मानना है कि इस विशाल मंदिर का निर्माण एक सप्ताह के अंदर कर दिया गया था। कहा जाता है कि इस मंदिर को खुदाई के दौरान देखा गया।

इस मंदिर को लेकर मिथक है कि राजा नरेश कृष्ण प्रथम बहुत बीमार थे और उनकी पत्नी ने प्रण लिया कि अगर पति ठीक हो जाते हैं, तो वो भगवान शिव के विशाल मंदिर का निर्माण करवाएंगी। (दुनिया का पहला ॐ आकार का मंदिर)  

कैलाश मंदिर की वास्तुकला (Kailasa Temple Architecture)

Kailasa Temple Architecture

कैलाश मंदिर की वास्तुकला आम लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है। यह विशाल मंदिर दो मंजिला मंदिर है, जो एक ही पत्थर की शिला पर बनी हुई दुनिया की पहली सबसे बड़ी मूर्ति मानी जाती है।

कई लोगों का मानना है कि इस विशाल मंदिर के निर्माण में एक नहीं, बल्कि पीढ़ियों का योगदान रहा है। इस मंदिर की ऊंचाई करीब 90 फीट है और इस मंदिर में एक आंगन और बाकि साइड से कोठियां बनी हुई हैं।

कैलाश मंदिर घूमने का समय (Kailasa Temple Timing)

Kailasa Temple Timing

कैलाश मंदिर के दर्शन के लिए आप कभी भी जा सकते हैं। सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक मंदिर खुला रहता है। मंगलवार को यह मंदिर बंद रहता है। यहां महाशिवरात्रि और विशेष मौके पर हजारों भक्त पहुंचते हैं।  

इसके वाला कैलाश मंदिर और एलोरा की गुफाओं को देखने के लिए भारतीय लोगों को करीब 10 रुपये का टिकट लेना होता है। वहीं विदेशी लोगों को 250 रुपये का टिकट लेना होता है।

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कैलाश मंदिर के आसपास घूमने की जगहें (best places near Kailasa Temple)

best places near Kailasa Temple

कैलाश मंदिर के आसपास घूमने के लिए एक से एक बेहतरीन और ऐतिहासिक जगहें मौजूद हैं। जैसे कि आप रावण की खाई, विश्वकर्मा गुफा, इंद्र सभा, एलोरा गुफाऔर तीन ताल गुफा जैसी कई गुफाओं को एक्सप्लोर कर सकते हैं।

इसके अलावा औरंगजेब का मकबरा, श्री भद्र मारुति मंदिर और खुल्दाबाद जैसी जगहों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं। 

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