साउथ इंडियन कुजीन में जरूरी हैं ये 7 मसाले, बिना इनके स्वाद होता है अधूरा

भारत में ही हर क्षेत्र का स्वाद अलग होता है। नॉर्थ इंडिया और साउथ इंडिया के फ्लेवर्स ही नहीं, कई मसाले भी भिन्न होते हैं। आइए आज आपको बताएं साउथ इंडियन डिशेज में पड़ने वाले सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण इंग्रीडिएंट्स के बारे में।

basic ingredient of south indian cuisine

आपने अगर कभी दक्षिण भारत की यात्रा की है, तो आपको पता होगा कि नॉर्ड इंडिया में बनने वाला डोसा और सांभर साउथ इंडिया के डोसे से कितना अलग होता है। दक्षिण भारतीय व्यंजन अपने गजब के स्वाद, सुगंधित मसालों और अलग-अलग प्रकार के मसालों के उपयोग के लिए प्रसिद्ध हैं।

यही कारण है कि साउथ इंडियन कुजीन को नॉर्थ इंडिया में भी इतना पसंद किया जाता है। यहां के व्यंजनों में कुछ ऐसे मसाले होते हैं, जिनका स्वाद व्यंजनों को खासतौर से प्रभावित करता है। फ्लेवर के साथ-साथ ये मसाले खाने को बनावट देते हैं। चलिए आज आपको उन सात जरूरी मसालों के बारे में बताएं जो दक्षिण भारतीय खाने की रीढ़ हैं।

नारियल

coconut in south indian cuisine

नारियल को हर रूप में दक्षिण भारतीय व्यंजनों में शामिल किया जाता है। इसकी रिचनेस, मिठास और मलाईदार बनावट खाने में एक नयापन जोड़ता है। नारियल का दूध, कसा हुआ नारियल और तेल आमतौर पर करी, चटनी और डेसर्ट में उपयोग किया जाता है। नारियल का पौष्टिक स्वाद नमकीन और मीठे दोनों व्यंजनों को बढ़ाता है। मसालों की हीट को संतुलित करता है और स्वाद में एक गहराई जोड़ता है। अवियल जैसी नारियल के बेस वाली ग्रेवी से लेकर लड्डू तक यह बहुमुखी सामग्री दक्षिण भारतीय व्यंजनों का एक सबसे महत्वपूर्ण इंग्रीडिएंट है।

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मेथी दाना

मेथी के बीज काफी स्ट्रॉन्ग और एक विशिष्ट स्वाद प्रदान करते हैं। इसका उपयोग दक्षिण भारतीय खाना पकाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है। छोटे सुनहरे-भूरे रंग के दाने भोजन को एक अनोखा स्वाद और कड़वाहट देते हैं। करी, दाल के व्यंजन और चटनी में डालने से पहले स्वाद बढ़ाने के लिए मेथी के बीज को आमतौर पर ड्राई रोस्ट किया जाता है और पीस लिया जाता है। रसम पाउडर और सांभर बनाने के लिए मेथी के बीज का पाउडर उपयोग किया जाता है।

इमली

tamarind in south indian cuisine

आप सांभर खाइए या फिर रसम। आपको कई व्यंजनों में इमली का स्वाद मिलेगा। इमली कई दक्षिण भारतीय व्यंजनों को तीखा और थोड़ा खट्टा स्वाद देती है। इसके गूदे को गर्म पानी में भिगोकर ग्रेवी में इस्तेमाल किया जाता है। कई सारी चटनियों में भी यह एक जरूरी इंग्रीडिएंट के रूप में शामिल की जाती है। इमली न केवल व्यंजनों में अम्लता बढ़ाती है बल्कि प्राकृतिक प्रिजर्वेटिव के रूप में भी काम करती है। इसके खाने में होने से कई व्यंजनों की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है। इसका अनोखा और अलग फ्लेवर खाने में थोड़ा-सा मीठा, खट्टा, मसालेदार और नमकीन तत्वों का सही संतुलन प्राप्त करने में मदद करता है।

करी पत्ता

करी पत्ता दक्षिण भारतीय खाना पकाने में एक मेन हर्ब है। यह अपनी सुगंध और माइल्ड टेस्ट के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग आमतौर पर व्यंजनों में तेल को तड़का लगाने, उनमें अपनी विशिष्ट सुगंध भरने और स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। करी पत्ता दक्षिण भारतीय तड़के में एक मेन इंग्रीडिएंट है और इसके बिना खाना अधूरा लगता है। करी से लेकर सांभर और दाल जैसी चीजों में इसे ऊपर से डाला जाता है।

सरसों के बीज

mustard seeds in south indian cuisine

राई या सरसों के बीजों का उपयोग भी दक्षिण भारत में खूब किया जाता है। यह भी एक एसेंशियल सामग्री है, जो एक कुरकुरापन देती है। तड़के में करी पत्ते के साथ इसे भी शामिल किया जाता है। इसकी सौंधी-सी खुशबू से आपकी भूख बढ़ती है और पकवान में स्वाद भी आता है। सरसों के बीज आमतौर पर दक्षिण भारतीय अचार, चटनी और सब्जी स्टर-फ्राई में उपयोग किए जाते हैं।

सूखी लाल मिर्च

सूखी लाल मिर्च दक्षिण भारतीय व्यंजनों में एक महत्वपूर्ण घटक है, जो खाने को रंग प्रदान करने के साथ तीखा और मसालेदार स्वाद देने के लिए जानी जाती है। इन मिर्चों की कई किस्मों का उपयोग दक्षिण भारतीय व्यंजन और पकवान में किया जाता है। साबुत मिर्च को राई और करी पत्ते के साथ मिलाकर तड़का बनाया जाता है। इसे पीसकर रस और सांभर में डाला जाता है। ऐसे कई नॉन वेज रेसिपीज भी हैं, जिनमें खूब सारी लाल मिर्च डाली जाती है। मसाले के मिश्रण से लेकर मैरिनेट तैयार करने तक लाल मिर्च का उपयोग होता ही है। ये सूखी लाल मिर्च चिकन या मछली करी जैसे लोकप्रिय व्यंजनों में खूब उपयोग की जाती है।

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चना और उड़द दाल

lentils in south indian cuisine

ये दोनों दालें कई सारी चीजों में इस्तेमाल की जाती हैं। इसके अलावा भी ऐसी तमाम दालें हैं, जो सांभर, डोसा, इडली, उत्तपम, रसम, अवियल और अप्पे आदि बनाने के लिए उपयोग की जाती है। इन दालों का उपयोग दक्षिण भारतीय व्यंजनों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। ये दालें व्यंजनों में एक मलाईदार बनावट और पौष्टिक स्वाद प्रदान करती हैं।

उड़द दाल और चना दाल का उपयोग तड़के में भी किया जाता है, जहां इसकी सुगंध और स्वाद को बढ़ाने के लिए इसे सुनहरा भूरा होने तक भूना जाता है। प्रोटीन और फाइबर से भरपूर, ये दाल दक्षिण भारतीय व्यंजनों में उनके विशिष्ट स्वाद और बनावट प्रदान करती हैं।

दक्षिण भारत के व्यंजनों के बेहतरीन स्वाद के लिए ऐसे कई मसाले अपना योगदान देते हैं। हम उनके बारे में आपको अगली बार जरूर बताएंगे। आपका फेवरेट मसाला कौन-सा है, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik and Amazon

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