जब भी जलियांवाला बाग का नाम सामने आता है हमेशा उन 1000 से ज्यादा भारतीयों की कुर्बानी याद आती है जो अंग्रेजी अफसर डायर के अत्याचार का शिकार हुए थे। 13 अप्रैल 1919 का वो दिन शायद ही कोई हिंदुस्तानी भूल पाए। बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएं कोई भी इस अत्याचार से नहीं बच सका था और ना जाने कितने लोग उस दिन घायल भी हुए थे। इतिहास का ये काला दिन अपनी छाप छोड़ गया है अमृतसर के जलियांवाला बाग में।
ये सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि हिंदुस्तानी आज़ादी की जंग का प्रतीक भी है। भारत में ऐसे बहुत कम स्थान बचे हैं जहां इस तरह से इतिहास की झलक देखने को मिलती है। पर इन दिनों जलियांवाला बाग किसी और कारण से ही चर्चा में है। इस ऐतिहासिक जगह को लेकर बहुत सारे विवाद हो रहे हैं और ये सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा ट्रेंड कर रहा है।
इस ऐतिहासिक जगह पर विवाद होने के बारे में सोचकर शायद आपको भी अजीब लग रहा हो, लेकिन ये सच है। आज इसी विवाद और जलियांवाला बाग के इतिहास के बारे में कुछ बातें करते हैं।
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आखिर क्यों सवालों के घेरे में हैं जलियांवाला बाग?
अमृतसर शहर में मौजूद जलियांवाला बाग सालों पुराना है और इसमें लगातार रिपेयर और टच अप का काम चलता रहता है, लेकिन बाग की ओर ले जाने वाली पतली सी गली जिसके कारण इतने लोगों की हत्या हुई थी वो 100 सालों में भी बदली नहीं गई थी। इसी गली से जनरल डायर के सैनिकों ने एंट्री की थी और यही गली जलियांवाला बाग की हैवानियत की निशानी थी जो अभी बदल दी गई है। इस गली में रिनोवेशन का काम करके वहां पुतले लगाए गए हैं और पुरानी झलक को पूरी तरह से बदल दिया गया है।
इसका फ्लोर काफी शाइनी बना दिया गया है और साथ ही साथ पंछी और अन्य कारीगरी इस जगह पर लगा दी गई है। अगर आप इस गली की पहले और अब की तस्वीरें देखें तो पाएंगे कि इनमें कितना अंतर है।
सोशल मीडिया पर चल रहा है विवाद-
सोशल मीडिया पर एक और विवाद चल रहा है कि पुराने इतिहास को बदल कर उसे सिर्फ टूरिस्ट प्लेस के तौर पर बना दिया गया है। जिस जगह पर इतनी बड़ी घटना हुई थी वहां पर इस तरह से इतिहास के साथ छेड़छाड़ करना और उसे ब्यूटिफाई करना लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के ट्वीट्स किए जा रहे हैं-
Our history- being erased! Why?
— Preet Kaur Gill MP (@PreetKGillMP) August 28, 2021
लोग पहले और बाद की तस्वीरों को शेयर कर सरकार के इस फैसले को सही नहीं कर रहे हैं-
Forgive me if I let out a cynical laugh when I hear complaints about the history of India not being taught correctly while allowing modern history to be desecrated right under our eyes. This is disrespectful to the memory of the horrific events of that day#JallianwalaBaghhttps://t.co/I0onhP7DYa
— Ashwin Mushran (@ashwinmushran) August 30, 2021
जलियांवाला बाग मेमोरियल में पहले भी कई बार रिनोवेशन हो चुका है, लेकिन इस तरह से नहीं।
इस मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का कहना है कि उन्हें इसमें कोई समस्या नज़र नहीं आ रही है और इसे शहीदों की बेइज्जती कहना गलत होगा।
इन रिनोवेशन में लेजर शो भी जोड़ा गया है जो इसे पूरी तरह से टूरिस्ट स्थल बनाने की ओर इशारा करता है। वैसे इसे लेकर विवाद गहराता जा रहा है और अभी पंजाब सरकार से इसे लेकर सवाल-जवाब किए जा रहे हैं।
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हालांकि, राहुल गांधी का ट्वीट इसे लेकर एक अलग ही कहानी कह रहा है।
जलियाँवाला बाग़ के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 31, 2021
मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी कीमत पर सहन नहीं करूँगा।
हम इस अभद्र क्रूरता के ख़िलाफ़ हैं। pic.twitter.com/3tWgsqc7Lx
दरअसल, इस नए जलियांवाला बाग को नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित किया जाना है। ऐसे में इसपर राजनीति भी चलती आ रही है और जलियांवाला बाग इन्हीं सब कारणों से चर्चा में है।
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ये देखकर थोड़ा अजीब लगता है कि आखिर कैसे इस ऐतिहासिक जगह को लेकर विवाद गहरा रहे हैं। आपकी इस मामले में क्या राय है ये हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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