इस्तांबुल में स्थित हागिया सोफिया यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। यह छठवीं सदी में बनाई गई इमारत है जो 532 AD से 537 AD में बनकर तैयार हुई थी। जिस जगह पर इसे बनाया गया है वहां 325 AD में एक चर्च बनाया गया था। उसी चर्च के ढांचे को 404AD में दंगों में निस्तोनाबूत कर दिया गया और फिर इसे बनाया गया जिसे एक बार फिर 532AD में तोड़ दिया गया। उसके बाद जो ढांचा बना वह आज हागिया सोफिया के नाम से जाना जाता है। 1500 सालों में इसमें कई बदलाव आए। बाइजेंटाइन पीरियड के दौरान इसमें कई कलाकृतियां और मोसैक बनाए गए।
तब से लेकर आज तक हागिया सोफिया में अलग-अलग तरह के बदलाव हुए हैं, लेकिन ईसाई और इस्लाम दोनों ही धर्मों की आस्था का केंद्र यह इमारत रही है। जब ओटोमन साम्राज्य ने तुर्की पर कब्जा किया तब इस इमारत को चर्च से बदलकर मस्जिद बना दिया गया। उस दौरान तुर्की के कई चर्च के साथ ऐसा किया गया था। यही कारण है कि आज के समय में हागिया सोफिया में इस्लामिक आर्किटेक्चर की झलक मिलती है।
सन 1453 में जब सुल्तान मेहमद ने कॉन्स्टेंटिनोपल (वर्तमान समय में तुर्की) पर कब्जा किया तब इस इमारत में और बदलाव किए गए और यह पूरी तरह से मस्जिद बन गई। यह 1930 तक मस्जिद ही थी उसके बाद इसे म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया। बीच में कुछ समय के लिए इसे बंद किया गया था, लेकिन इसे फिर से टूरिस्ट्स के लिए खोल दिया गया। हालांकि, टूरिस्ट्स के लिए यहां कई नियम और कायदे हैं।
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कैसे मिला हागिया सोफिया को उसका नाम?
हागिया सोफिया नाम से इसे पूरी दुनिया जानती है और तुर्की के लोग इसे आया सोफ्या कहते हैं, लेकिन इस इमारत के अलग-अलग नाम थे। हागिया सोफिया नाम सन 430 तक आया ही नहीं था। उससे पहले यह यहां जो चर्च था उसका नाम था मेगाले इक्कलेसिया (Megale Ekklesia) जो लैटिन शब्द था जिसका अर्थ था महान चर्च। लैटिन भाषा में इस इमारत को अभी भी सैंक्टा सोफिया कहा जाता है। हागिया सोफिया नाम ही पहली इमारत के गिरने के बाद आया। कई लोगों को लगता है कि यह इस्लामिक शब्द हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। ये दोनों ही ग्रीक शब्द हैं जिनका मतलब है दिव्य ज्ञान या पवित्र ज्ञान।
जिस वक्त यह बिल्डिंग बनकर तैयार हुई उस वक्त भाषा को लेकर भी विकास हो रहा था और तुर्की में यूरोपीय कला आ रही थी। यही कारण है कि इस इमारत का नाम ग्रीक शब्दों पर रखा गया।
16वीं सदी तक दुनिया का सबसे बड़ा चर्च
अपने बनने से लेकर आगे 1000 सालों तक हागिया सोफिया इमारत दुनिया का सबसे बड़ा चर्च रही है। 16वीं सदी में सेविल केथेड्रल (Seville Cathedral) बनने के बाद ही यह दूसरे स्थान पर रही है। इसके इतना लोकप्रिय होने के पीछे यह कारण भी है।
हागिया सोफिया के बेहद आलीशान इंटीरियर
अगर आपने हागिया सोफिया को नहीं देखा, तो मैं आपको बता दूं कि इस इमारत में आपको शुरुआत से लेकर अभी तक के कई निशान मिल जाएंगे। जैसे हागिया सोफिया में आपको उस समय के मोजैक मिल जाएंगे जब यह चर्च हुआ करता था। मदर मैरी और बेबी जीसस की कलाकृति, जीजस और उनके अनुयायियों की कलाकृतियां सब कुछ मौजूद हैं जिन्हें किसी तरह से ढक दिया गया था। हागिया सोफिया का इतिहास जितना पुराना है उतना ही खूबसूरत इसका आर्किटेक्चर है। अंदर बहुत ही बड़े झूमर लगे हुए हैं, नीचे प्रार्थना का हॉल इतना बड़ा है कि आपको इसे ठीक से देखने में ही 30 मिनट के ऊपर का समय लग सकता है।
इस पूरी इमारत को घूमने में 4-5 घंटे आराम से लग सकते हैं।
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टूरिस्ट्स से लिए हैं कई नियम
- हागिया सोफिया विजिट करने वाले टूरिस्ट्स को कुछ चीजों का ध्यान रखना होता है, जैसे-
- टूरिस्ट्स को फुल कपड़े पहन कर जाना होता है। छोटे कपड़े वहां नहीं पहने जा सकते।
- महिलाओं को वहां जाने से पहले अपना सिर ढकना होता है।
- टूरिस्ट्स सिर्फ ऊपर की बालकनी से ही हागिया सोफिया का प्रेयर हॉल देख सकते हैं। हालांकि, मुस्लिम टूरिस्ट्स को नीचे जाने की इजाजत है, लेकिन वहां भी प्रार्थना करने के लिए तुर्की होना बहुत जरूरी है। गैर-मुस्लिम धर्म के लोग नीचे नहीं जा सकते हैं।
- यह प्रार्थना के समय बंद रहता है। अगर आप इसे विजिट करने जा रहे हैं, तो शुक्रवार को ना जाएं क्योंकि उस दौरान प्रार्थना करने वालों की भीड़ भी बहुत ज्यादा होती है।
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