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समुद्र में डूब जाता है यह अनोखा मंदिर, दर्शन करने के लिए लगी रहती है भीड़

मंदिर के दर्शन तो आपने बहुत किए होंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां लोग सिर्फ दो बार दर्शन करने के लिए जाते हैं। कहा जाता है कि यहां जाने वाला इंसान कभी खाली हाथ नहीं वापस नहीं आते हैं।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-11-10, 14:41 IST

गुजरात का नाम सामने आते ही यहां के फेस्टिवल, ट्रेडिशनल फूड्स और ऐतिहासिक इमारतें आंखों के सामने घूमते हैं। साथ ही, यह एक ऐसा राज्य है जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभूमि के रूप में जाना जाता है। यही वजह है कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी गुजरात में बनाई गई है। 

इस खूबसूरत स्टैच्यू को देखने सिर्फ देसी लोग ही नहीं, बल्कि विदेश से भी लोग आना पसंद करते हैं। मगर क्या आपको पता है कि यहां एक ऐसा मंदिर है, जिसके दर्शन दिन में सिर्फ दो से तीन बार ही लोग कर पाते हैं, क्योंकि इसके बाद यह मंदिर समुद्र में डूब जाता है। आइए जानते हैं कि यह मंदिर कौन-सा है और इसका क्या रहस्य है।  

ऐसा कौन-सा मंदिर है जो समुद्र में डूब जाता है?

Which temple is between sea in Gujarat

यह मंदिर गुजरातमें है जिसका नाम स्तंभेश्वर महादेव है। कहा जाता है कि रोजाना स्तंभेश्वर महादेव मंदिर सुबह और शाम कुछ देर के लिए गायब हो जाता है। इसके पीछे प्राकृतिक कारण है, दरअसल दिन भर में समुद्र का स्तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर पूरी तरह डूब जाता है।

फिर कुछ ही पलों में समुद्र का स्तर घट जाता है और फिर मंदिर दोबारा दिखाई देने लगता है। ऐसा हमेशा सुबह और शाम के समय होता है। मंदिर के गायब होने के पीछे लोग समुद्र द्वारा शिव का अभिषेक करना मानते हैं। यही नहीं श्रद्धालु भगवान शिव के इस मंदिर का नजारा लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं। 

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स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे जानें 

गुजरात की राजधानी गांधीनगर से लगभग 175 किमी दूर जंबूसर के कावी कंबोई गांव में मौजूद है। यह शिव मंदिर बेहद अनोखा है क्योंकि यह समुद्र की गोद में समा जाता है। शिवपुराण के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यहां तारकासुर नाम के असुर ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से खुश कर दिया था, इसके बदले में शिव ने उसे मन चाहा वरदान दिया था। 

एक कहानी यह भी कहती है कि भगवान कार्तिकेय (शिव के पुत्र) राक्षस तारकासुर को मारने के बाद स्वयं को दोषी मानते हैं। इसलिए भगवान विष्णु ने उन्हें यह कहते हुए सांत्वना दी कि आम लोगों को परेशान करने वाले एक राक्षस को मारना गलत नहीं है। हालांकि कार्तिकेय भगवान शिव के एक महान भक्त की हत्या के पाप को दूर करना चाहते थे।

वरदान क्या दिया था?

Which temple is sea in Gujarat

वरदान यह था कि उस असुर को शिव पुत्र के अलावा और कोई नहीं मार सकता था और पुत्र की आयु भी 6 दिन की ही होनी चाहिए। वरदान मिलने के बाद, तारकासुर ने हर तरफ लोगों को परेशान करना और उन्हें मारना शुरू कर दिया। (नवंबर में देश की इन हसीन और खूबसूरत जगहों पर घूमने पहुंचें)

यह सब देखकर देवताओं और ऋषि मुनियों ने शिव जी से उसका वध करने की प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना सुनने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय ने जन्म लिया। असुर का वध कार्तिकेय ने कर तो दिया, लेकिन शिव जी भक्त की जानकारी मिलने के बाद उन्हें बेहद दुख पहुंचा। 

कैसे जाएं स्तंभेश्वर महादेव मंदिर? 

Which temple is submerged in water

गुजरात के वडोदरा से लगभग 40 किलोमीटर दूर जंबूसर तहसील में स्थित है। कावी कंबोई गुजरात के वडोदरा से लगभग 75 किमी दूर है। ऐसे में यहां आप सड़क मार्ग से जा सकते हैं, क्योंकि इससे कावी कंबोई वडोदरा, भरूच, और भावनगर जैसी जगहों अच्छी तरह से जुड़ी हुई हैं। 

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आप बस से जा सकते हैं और यहां से निजी टैक्सी या फिर अन्य वाहन का साधन लें सकती हैं। इसके अलावा यहां पहुंचने के लिए सड़क, रेल या फिर एयर प्लेन के जरिए भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

 

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Image Credit- (@Freepik)  

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