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Travel Madhya pradesh mandu city which have natural beauty and history together

एक महल जहां आज भी गूंजते हैं राजा-रानी की प्रेम कहानी के स्‍वर

इतिहास में रुचि है और लव स्‍टोरी सुनना पसंद करती हैं तो मध्‍यप्रदेश की यह नगरी एक बार जरूद घूमने आएं। यहां मशहूर 12 दरवाजों वाले महल से लेकर हरियाली तक और वीरता से लेकर प्रेम कहानी तक यहां चारो ओर इतिहास ही नजर आता है। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-09-18, 12:19 IST

मध्‍यप्रदेश भारत का वह राज्‍य है जो प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही अपनी कला और इतिहास के लिए भी जाना जाता है। मध्‍यप्रदेश का लगभग आधे से भी ज्‍यादा हिस्‍सा प्राकृतिक खूबसूरती से घिरा हुआ है और साथ ही यहां कई एतिहासिक इमारते हैं, जो रहस्‍य से भरी हुई हैं। यहां आपको वीरता की कहानियां भी सुनने को मिलेंगी और प्रेम कहानियां भी। ऐसा ही नगर मध्‍यप्रदेश में है ‘मांडू’।  मशहूर 12 दरवाजों वाले महल से लेकर हरियाली तक और वीरता से लेकर प्रेम कहानी तक यहां चारो ओर इतिहास ही नजर आता है। 

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राजा और रानी की प्रेम कहानी 

विंध्‍याचल पर्वत श्रृंखला पर बसे मांडू को नेचुरल ब्‍यूटी, एतिहासिक इमारतों के अलावा राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती के प्रेम कहानी की वजह से भी जाना जाता है। ऐसा भी कह सकते हैं कि मांडू रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर की प्रेम कहानी की वहज से देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर बन चुका है। आज भी मांडू की पहाडि़यों में राजा और रानी के प्‍यार के स्‍वर गूंजते हैं। कथा के अनुसर बाज बहादुर मांडू के अंतिम स्‍वतंत्र शासक थे और रानी रूपमती किसान की पुत्री एवं मालवा की गायिका थीं। उनकी आवाज सुनक कर ही बाज बहादुर को उनसे प्रेम हो गया था। रूपमती के सौंदर्य और आवाज के मुरीद बाज बहादुर ने उन्‍हें रानी बनाने का फैसला लिया और मांडू में उनका महल बनवा दिया। मगर दोनों की लव स्‍टोरी का तब अंत हो गया जब शहंशाह अकबर की नजर रूपमती पर पड़ी। अकबर ने राजा बाज बहादुर को पत्र लिखा कि रानी रूपमती को दिल्‍ली के दरबार में भेज दिया जाए। राजा बाज बहादुर ने रानी को भेजने से इंकार कर दिया। तब अकबर ने अपनी सेन भेज कर बाज बहादुर को बंदी बना लिया। जब रानी को इस बारे में पता चला तो उन्‍होंने अपनी जान देना बहतर समझा और हीरा निगल लिया। 

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रानी और राजा का मकबरा 

रानी की मौत सुनकर अकबर को बहुत बुरा लगा और उन्‍होंने राजा बाज बहादुर को छोड़ दिया। वापिस अपने नगर पहुंचने पर राजा ने भी रानी के मकबरे पर सिर पटक कर अपनी जान देदी। इसके बाद वर्ष 1568 में सारंगपुर के समीप बादशाह अकबर ने दो राजा और रानी का मकबरा बनवाया । राजा के मकबरे में अकबर ने ‘आशिक-ए-सादिक’ और रानी की समाधि पर ‘शहीद-ए-वफा’ लिखवाया। यह मकबरे आज भी मौजद हैं। 

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रानी का किला 

रानी रूपमती के लिए राजा ने 3500 फीट की ऊंचाई  पर किला बनवाया था। ऐसा क‍हा जाता है कि रानी रूपमती नर्मदा नदी के देखे बिना भोजन ग्रहण नहीं करती थीं। इस लिए राजा ने रानी का किला इतनी ऊंचाई  पर बनवाया था। आज भी रानी रूपमती के किले से नर्मदा नदी नजर आती है। रानी के महल से पहले ही बाज बहादुर ने अपना महल बनवाया था ताकि रानी तक पहुंचने से पहले दुश्‍मन को राजा बाज बहादुर से निपटना पड़े। इस महल में विशाल आंगन और हॉल बने हुए हैं। यहां से मांडू का मनोरम नजारा देखा जा सकता है। महल की खासियत यह है कि यहां के कुछ हाल इस तरह से बनाए गए हैं कि यदि सामान्य व्यक्ति भी गीत गुनगुनाता है तो दूसरे हाल में वह कर्ण प्रिय होकर गीत सुनाई देते हैं। 

 

जहाज महल 

राजा और रानी के महलों के अलावा मांडू में जहाज महल भी देखने लायक है। यह जहाज की आकृति में बना हुआ है और तालाब में तैरता हुआ सा प्रतीत होता है। यहां होशंगशाह का मकबरा बना हुआ। माना जाता है कि भारत में मार्बल से बना यह पहला मकबरा है। ऐसा भी कहा जाता है कि शाहाजहां ने इस मकबरे से ही इंस्‍पायर्ड होकर ताज महल बनवाया था। 

 

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