3 समुद्रों से घिरी इस जगह पर एक साथ निकलते हैं सूरज और चांद

कन्‍याकुमारी समुद्री किनारा होने के कारण अपने बीचों और कुछ अनोखे कारणों से मशहूर है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कन्‍याकुमारी में ऐसा क्‍या अनोखा है जो आपको एक बार यहां आने के लिए आकर्षित करेगा।

Sun set and moon rise point in kanyakumari travel tips to visit

जब हम पूरे भारत की बात करते हैं तो कई बार हमारे मुंह से ‘कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी’ निकल जाता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि कश्‍मीर भारत के नॉर्थ में है और कन्‍याकुमारी साउथ में। देश के यह दोनों छोर अपनी-अपनी विशेषताओं के जाने जाते हैं। यहां घूमने फिरने के लिए भी काफी कुछ है। जहां कश्‍मीर बर्फीले पहाड़ों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर है वहीं कन्‍याकुमारी समुद्री किनारा होने के कारण अपने बीचों और कुछ अनोखे कारणों से मशहूर है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कन्‍याकुमारी में ऐसा क्‍या अनोखा है जो आपको एक बार यहां आने के लिए आकर्षित करेगा।

तीन समुद्रों से घिरी है यह जगह

कन्‍यकुमारी को हमेशा धर्म से जोड़ कर लोग देखते हैं मगर धार्मिक स्‍थलों के अलावा इस शहर में देखने के लिए बहुत कुछ है। यह शहर अपनी कला और संस्‍कृति के लिए भी प्रसिद्ध है। कन्‍याकुमारी की सबसे खास बात यह है कि यह तीन तरफ से तीन अलग-अलग समुद्रों से घिरा हुआ है। यहां आपको हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी तीनों देखने को मिलेगी।

कन्‍याकुमारी माता का मंदिर

ज्‍यादातर लोग यहां पर देवी कन्‍याकुमारी के दर्शन के लिए आते हैं। आदिशक्ति के मुख्‍य शक्तिपीठों में से एक यह मंदिर तीन समुद्रों के संगम स्‍थल पर बना हुआ है। यह मंदिर दिखने में बेहद छोटा है मगर इस में प्रवेश करने से पहले सभी को त्रिवेणी संगम में डुबकी लगानी पड़ती है। इस मंदिर का एक द्वार समुद्र की तरफ खुलता है। मगर इस द्वार को हमेशा बंद करके रखा जाता है क्‍योंकि मंदिर में देवी की प्रतिमा पर चढ़े आभूषणों की चमक से समुद्री जहाज को लगता है कि वह किनारे पर पहुंच गए हैं मगर इस चक्‍कर में कई जहाज दुर्घटना ग्रस्‍त हो चुके हैं। इस लिए अब इस दरवाजे को बंद कर दिया गया है।

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चांद और सूरज का होता है संगम

यहां आपको कुदरत का सबसे अनूठा रूप देखने को मिलता है। दरअसल यहां पर चांद और सूरज को आप एक साथ देख सकती हैं। ऐसा आपको केवल यहीं देखने को मिलेगा। यहां एक तरफ सूर्य अस्‍त हो रहा होता है तो दूसरी तरफ चंद्रमा उदय हो रहा होता है। यह अद्भुद नजारा केवल आपको कन्‍याकुमारी में ही देखने को मिलता है।

विवेकानंद मेमोरियल

यह बेहद खूबसूरत जगह हैं। दरअसल 1892 में विवेकानंद कन्‍याकुमारी आए थे और समुद्र में तैयरते हुए वह एक चट्टान पर जा पहुंचे। इस चट्टान पर बैठ कर कई दिनों तक उन्‍होंने साधना भी की थी। 1970 में विवेकानंद रॉक मेमोरियल कमेटी ने यहां पर रॉक मेमोरियल बनवा दिया। यह समुद्र के बीचों बीच है इसलिए यहां जाने के लिए बॉट का सहारा लेना होता है।

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थिरुक्‍कुरल मूर्ति

थिरुक्‍कुरल साउथ का एक प्रसिद्ध काव्‍य ग्रंथ है। इसकी रचना अमर तमिल कवि थिरुवल्‍लुअर ने की थी। इसलिए कन्‍याकुमारी में उनकी 38 फीट ऊंचे आधार पर 95 फीट की प्रतिमा बनाई गई है। इस स्मारक की कुल उंचाई 133 फीट है और इसका वजन 2000 टन है। दिलचस्प बात यह है कि इस प्रतिमा को बनाने में करीब 5000 शिल्पकारों की महनत लगी है। इसे कुल 1283 पत्थर के टुकड़ों का इस्तेमाल करके बनाया गया है। यह मूर्ति 'थिरुक्कुरल' के 133 अध्यायों का प्रतीक है।

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गांधी मंडप

यह बहुत ही अनूठी जगह है। अगर आप कन्‍याकुमारी आएं तो इस स्‍थान को देखने जरूर आएं। और भी अच्‍छा होगा कि आप कन्‍याकुमारी 2 अक्‍टूबर के आस पास आएं। दरअसल गांधी मंडप में गांधी जी की चिता की राख रखी हुई है। इस स्‍मारक को 1956 में बनाया गया था। इस बनाने में बेहद कमाल की तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया था। तकनीक के मुताबिक 2 अक्‍टूबर को जब सूर्य निकलता है तो उसकी पहली किरण इस स्‍मारक के उस स्‍थान पर जाकर गिरती है जहां पर गांधी जी की राख रखी हुई है।

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