प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त केदाननाथ यात्रा पर हैं और ध्यान और दर्शन के साथ वो केदारपुरी के रेस्टोरेशन का काम भी बखूबी देख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के दर्शन किए और भीम शिला तक भी गए जिसने केदारनाथ मंदिर को 2013 की भयंकर बाढ़ से बचाया था। केदारनाथ एक ऐसा स्थान है जहां पर हर उम्र का व्यक्ति जाना पसंद करता है। ये जगह ना सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है बल्कि यहां की खूबसूरती किसी का भी मन मोह सकती है। केदारनाथ जाना अपने आप में अलौकिक अनुभव दे सकता है, लेकिन यहां की प्लानिंग करने से पहले मैं आपसे सिर्फ एक सवाल पूछना चाहती हूं। क्या आप वहां ट्रेक करके जाने का सोच रहे हैं?
लोगों को लगता है कि यहां ट्रेक करके जाना बहुत ही आसान है और भक्ति में तो हमें चलकर ही जाना चाहिए, लेकिन कई बार वो असल समस्या को भूल जाते हैं। केदारनाथ 11,755 फिट की ऊंचाई पर स्थित है और ये कई लोगों के लिए सांस लेने में समस्या पैदा कर सकती है। केदारनाथ ट्रेक बहुत ही खूबसूरत भी है और मुश्किल भी।
जिन लोगों को लगता है कि केदारनाथ पर ट्रेक करके जाना उनके लिए अच्छा हो सकता है उन्हें इन चीज़ों का ध्यान रखा चाहिए-
गोमुखी से केदारनाथ यात्रा शुरू होता है और वहां से 5 घंटे का समय लग जाता है। ये 5 घंटे जाना और 5 घंटे आना बहुत आसान लग सकता है, लेकिन जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है वैसे-वैसे समस्या भी बढ़ती जाती है। सांस लेने में कठिनाई होने लगती है इसलिए समय का हमेशा ध्यान रखें-
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कई लोगों को लगता है कि उन्हें भक्ति साबित करने की जरूरत है और इसलिए उन्हें पैदल ही चलकर जाना चाहिए। पर ऐसा नहीं है, आप अगर बीमार महसूस कर रहे हैं तो पैदल ना जाएं। अगर सांस की समस्या है तब तो घोड़ा या हेलिकॉप्टर करें। सोनप्रयाग से घोड़ा लेने की जगह गौरीकुंड से ही बुक करें। ऐसा करने से आपका समय बचेगा। सांस लेने की समस्या वहां पर आम है इसलिए अपनी हेल्थ का ध्यान जरूर रखें।
यहां सिर्फ खाने पीने की चीज़ें ही नहीं बल्कि वहां अन्य जरूरी सामान भी जरूरी है। इतनी ऊपर एयरटेल, बीएसएनएल और रिलायंस जियो सिम ही काम करेगी। वहां बारिश अक्सर हो जाती है इसलिए रेनकोट, पानी में ना फिसलने वाले जूते, फ्लैशलाइट, मोटा जैकेट, विंड शीटर और रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी लेकर जाएं। सूटकेस या हेवी सामान नहीं लेकर जाएं क्योंकि अगर आप घोड़ा भी कर लेंगे तो भी ये ले जाने में मुश्किल ही होगा। अपना यात्रा कार्ड और आधार कार्ड दोनों ही लेकर जाएं।
रात में ट्रेकिंग ना करें क्योंकि वो वहां जंगली जानवरों के आने का भी खतरा होता है। अगर पहली बार केदारनाथ जा रहे हैं तो सुरक्षित ट्रेकिंग के ऑप्शन ही चुनें।
वैसे तो सुरक्षित तरीका यही होगा कि आप ओवरनाइट रुकें, लेकिन अगर नहीं रुकना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप वापस गौरीकुंड तक शाम के समय ही आ पाएंगे और ऐसे में गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक ट्रांसफर मिलना या फिर रात गुजारने के लिए कमरा मिलना मुश्किल हो सकता है। केदारनाथ ट्रेक के सीजन में गौरीकुंड में 4000-5000 यात्री आते हैं और ऐसे में आप पहले से इंतजाम करके जाए वही ठीक होगा।
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आपको बजट और कंफर्ट का ध्यान भी रखना होगा। अगर आप पैदल जाने की जगह किसी और चीज़ से जाने का सोचते हैं तो ये सारे ट्रांसपोर्ट के तरीके उपलब्ध हैं-
डोली - 8-10 हज़ार रुपए चार्ज (सीजनल 12000 भी हो सकता है)
घोड़ा- 5-7 हज़ार रुपए
हेलिकॉप्टर - 7 हज़ार तक
ये सारे चार्ज राउंड ट्रिप के होंगे और चार्ज कितना होता है ये इस बात पर निर्भर करेगा कि आप इसे किस स्थान से लेते हैं। सोनप्रयाग और गौरीकुंड से ही ज्यादातर तीर्थयात्री कोई साधन बुक करते हैं।
किसी भी साधन को बुक करते समय आप यात्रा का समय और अपना बजट दोनों ही ध्यान रखें। ये सारी चीज़ें आपके लिए जरूरी साबित हो सकती हैं।
केदारनाथ यात्रा वैसे तो बहुत आरामदेह होती है, लेकिन अगर आपको जरा सी भी तकलीफ है तो मेडिकल इमरजेंसी की सुविधा भी है वहां। अपनी यात्रा सुरक्षित तरीके से प्लान करें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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