रोजमर्रा की जिंदगी से फुर्सत पाकर हम जब भी हॉलीडे पर जाते हैं तो पूरी तरह से रिफ्रेश हो जाते हैं। खूबसूरत एंबियंस और शुद्ध ताजा हवा के बीच हमें खुशी का अहसास होता है। हमें ये भी लगता है कि घूमने की शुरुआत करने में हमने देरी की, बहुत पहले ही हमें इसकी शुरुआत कर देनी चाहिए थी। अपने लिए हम चीजें भले ही बदल नहीं सकते हों, लेकिन अपने बच्चों को नेचुरल एंबियंस वाली एक्साइटिंग जगहों पर घुमाकर हम उन्हें ढेर सारी मस्ती करने का मौका दे सकते हैं।
आमतौर पर बड़ों के लिए ट्रेकिंग थका देने वाली होती है। ऊंची चढ़ाई वाली जगहों पर बड़े लोगों का एनर्जी लेवल कम होने लगता है और स्टेमिना ज्यादा ना हो तो थोड़ी चढ़ाई के बाद ही शरीर दर्द करने लगता है, लेकिन बच्चों को ऐसी परेशानी नहीं होती। बच्चों की बॉडी ज्यादा लचीली होती है और उनका एनर्जी लेवल भी बड़ों की तुलना ज्यादा होता है, इसीलिए बच्चों को ट्रेकिंग करने में खूब मजा आता है। ट्रेकिंग करने से बच्चों को व्यावहारिक दुनिया के बारे में बहुत सी नई चीजें पता चलती हैं और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। साथ ही बच्चे अपना काम खुद करना भी सीख जाते हैं। अगर आप अपने बच्चों को अपनी तरह ट्रेकिंग में माहिर बनाना चाहती हैं तो आप उन्हें इन जगहों पर जरूर लेकर जाएं।
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अगर आप अपने बच्चे को ट्रेकिंग पर ले जाने की शुरुआत कर रहे हैं तो यह ट्रेक उसके लिए बेस्ट है। यहां बच्चा आसानी से चढ़ाई कर सकता है और यहां प्रकृति के करीब रहते हुए बच्चे को कुदरती वातावरण के बारे में भी बहुत कुछ समझने का मौका मिलता है। यहां आसपास घने जंगल हैं, साथ ही यहां कई प्रजाति की चिड़ियां भी बच्चों को आकर्षित करती हैं। यहां बच्चे हरी-भरी घास में घूमने पर बहुत एक्साइटेड फील करेंगे। यहां चंद्रशिला पहुंचने पर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ नजर आते हैं।
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कुर्ग में Tadiandamol कर्नाटक का तीसरा सबसे बड़ा पर्वत है। यहां चढ़ाई थोड़ा मुश्किल है। बच्चों के साथ यहां ट्रेकिंग करने में आपको दो से तीन दिन लग सकते हैं। यहां आपको शोला फॉरेस्ट्स की खूबसूरती नजर आएगी। यहां आप सूर्योदय के साथ ही चढ़ाई की शुरुआत कर सकती हैं। यहां कॉफी, इलाएची और काली मिर्च के पौधे देखे जा सकते हैं।
यहां बच्चों को सर्दियों में ट्रेकिंग के लिए लाना बहुत अच्छा है। यहां बर्फ पर बहुत सारे कैंप देखने को मिलते हैं। हालांकि यहां के नजारे देखने में काफी एक्साइटिंग हैं, लेकिन बर्फ के बीच चढ़ाई करना सामान्य जंगल की तुलना में थोड़ा ज्यादा मुश्किल होता है। यहां ठंड से बचने के लिए खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। इससे बच्चों को लाइफ स्किल्स सिखाई जा सकती हैं।
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इस ट्रैक को जैक गिब्सन ने खोजा था, जो ब्रिटिश पर्वतारोही थे और दून स्कूल में टीचर हुआ करते थे। जैक गिब्सन ने जब यह ट्रैक खोजा था, तब वह अक्सर अपने छात्रों को इस ट्रैक पर घुमाने के लिए ले जाते थे। यहां सुपिन नदी के किनारे के नजारे बच्चों में नया जोश जगा देते हैं। साथ ही स्थानीय निवासियों का सादगी भरा जीवन भी बच्चों को नया नजरिया देता है।
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अगर आप बच्चों को हिमालय के ट्रैक पर ले जाना चाहती हैं तो उन्हें भृगु झील वाले ट्रैक पर जरूर ले जाएं। यहां घोड़ों को घास चरते हुए देखना, सेब के बागों की खूबसूरती निहारना बेहतरीन एक्सपीरियंस है। यहां लाहौल, पीर पंजाल और धौलाधार पर्वतों को देखना आंखों को सुकून देता है।
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