भगवान राम ने नहीं सीता मां ने इस एक वजह के चलते राजा दशरथ का पिंडदान किया था। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब भी किसी शख्स की मौत होती है तो उसका पिंडदान करने का हक उसके बेटे को दिया जाता है लेकिन भगवान राम ने ऐसा नहीं किया था। उन्होंने अपने पिता दशरथ का पिंडदान नहीं किया था बल्कि सीता ने किया था।
बिहार के गया को विश्व में मुक्तिधाम के रूप में जाना जाता है और ऐसी मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। बिहार में गया धाम का जिक्र गरूड़ पुराण समेत ग्रंथों में भी दर्ज है।
ऐसा कहा जाता है कि गया में श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिल जाती है। पितृों के तर्पण के लिए प्रसिद्ध 'मुक्तिधाम' मंदिर गया में स्थित है और यह वही जगह है जहां पर माता सीता ने भगवान राम के पिता और अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर पिंडदान करने से पितरों की आत्मा की शांति के साथ-साथ स्वयं पितरों के ऋण से भी मुक्त होते हैं।
माता सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था। उसके पीछे एक वजह थी। वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और सीता सहित पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे थे।
Read more: इस एक वजह के लिए रावण की मृत्यु के बाद भी सुपर्णखा सीता से मिलने आई
श्राद्ध के लिए जरूरी चीजें जुटाने के लिए भगवान राम और लक्ष्मण नगर की ओर चले गए थे उसी दौरान माता सीता ने दशरथ का पिंडदान गया में किया था। एक पौराणिक कहानी के मुताबिक राजा दशरथ की मौत के बाद भरत और शत्रुघ्न ने अंतिम संस्कार की हर विधि को पूरा किया था लेकिन राजा दशरथ को सबसे ज्यादा प्यार अपने बड़े बेटे राम से था इसलिए अंतिम संस्कार के बाद उनकी चिता की बची हुई राख उड़ते-उड़ते गया में नदी के पास पहुंची।
उस वक्त राम और लक्ष्मण वहां मौजूद नहीं थे और सीता नदी के किनारे बैठी विचार कर रहीं थी। तभी सीता को राजा दशरथ की छवि दिखाई दी पर सीता को यह समझने में ज़रा सी भी देर नहीं लगी कि राजा दशरथ की आत्मा राख के ज़रिए उनसे कुछ कहना चाहती है। राजा ने सीता से अपने पास समय कम होने की बात कहते हुए अपने पिंडदान करने की विनती की।
सीता ने राजा दशरथ की राख को मिलाकर अपने हाथों में उठा लिया। इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद एक ब्राह्मण, फाल्गुनी नदी, गाय, तुलसी और अक्षय वट को इस पिंडदान का साक्षी बनाया।
सीता की इस बात पर भगवान राम ने यकीन नहीं किया। इसके बाद भगवन राम को गुस्से में देखकर ब्राह्मण, फाल्गुनी नदी, गाय और तुलसी ने झूठ बोलते हुए ऐसी किसी भी बात से इंकार कर दिया। जबकि अक्षय वट ने सच बोलते हुए सीता का साथ दिया।
ऐसे में सीता मां ने गुस्से में आकर चारों जीवों को श्राप दे दिया जबकि अक्षय वट को वरदान देते हुए कहा कि तुम हमेशा पूजनीय रहोगे और जो लोग भी पिंडदान करने के लिए गया आएंगे। उनकी पूजा अक्षय वट की पूजा करने के बाद ही सफल होगी। श्राद्ध के दिनों में कई हजारों लोग यहां पूजा करने के लिए आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि गया में पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।