हमारा देश भारत मुख्य रूप से देवी देवताओं का और मंदिरों का देश माना जाता है। यहां हिन्दू धर्म से सम्बंधित कई मंदिर स्थित हैं, जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और मंदिरों में बारहों मास भक्तों की भीड़ इकठ्ठा रहती है। खासतौर पर नवरात्रि के समय में मां दुर्गा के मंदिरों में विशेष भीड़ होती है और लोग दूर-दूर से मां दुर्गा के शक्तिपीठों के दर्शन हेतु आते हैं। चाहें जम्मू का वैष्णो माता मंदिर हो या हिमाचल का ज्वाला देवी मंदिर या फिर हरिद्वार का मनसा देवी मंदिर ,हर जगह भक्तों की भीड़ इकठ्ठा होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कई ऐसी जगहें हैं जहाँ माता का दरबार लगता है और मां के शक्तिपीठ स्थापित हैं। आइए आपको बताते हैं उन शक्ति पीठों के बारे में -
हिंगलाज माता मन्दिर
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिन्दू देवी सती को समर्पित इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। यहां इस देवी को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी भी कहते हैं। इस मन्दिर को नानी मन्दिर के नामों से भी जाना जाता । पिछले तीन दशकों में इस जगह ने काफी लोकप्रियता पाई है और यह पाकिस्तान के कई हिंदू समुदायों के बीच आस्था का केन्द्र बन गया है। यह मां दुर्गा के अत्यंत पूजनीय मंदिरों में से एक है।
उग्रतारा शक्तिपीठ बांग्लादेश
उग्रतारा शक्तिपीठ बांग्लादेश में स्थित है। मां का यह पावन शक्तिपीठ सुनंदा नदी के तट पर स्थित है। धार्मिक पुराणों के अनुसार इस स्थान पर माता सती की नाक गिरी थी। बांग्लादेश में मां के तीन और भी शक्तिपीठ हैं।
भवानीपुर शक्तिपीठ बांग्लादेश
यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के के राजशाही डिवीजन के बोगरा जिले में स्थित है। करातोया नदी के किनारे स्थित इस मंदिर को हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। यह शक्तिपीठ भी भक्तों के बीच अत्यंत प्रचलित है।
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नेपाल में माता के शक्तिपीठ
नेपाल में गंडक नदी पर आद्याशक्ति का पीठ है। इस शक्तिपीठ में देवी की पूजा गंडकी रूप में होती है। मान्यता है कि इस शक्ति पीठ पर आदि शक्ति का दायां गाल गिरा था और यहाँ तभी से शक्ति पीठ का निर्माण हुआ था। नेपाल में माता का शक्तिपीठ पशुपतिनाथ मंदिर के पास में भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती के दोनों घुटने गिरे थे। 51 शक्तिपीठों में नेपाल की महामाया भी है, जिसे गुह्येश्वरी शक्तिपीठ भी कहा जाता है।
श्रीलंका में है मां का पावन शक्तिपीठ
मान्यतानुसार इस स्थान पर मां आदिशक्ति की पायल गिरी थी और तभी से ये शक्तिपीठ के रूप में स्थापित है। इस शक्तिपीठ में मां की पूजा इंद्राणी रूप में की जाती है। इस शक्तिपीठ की पूजा का भक्तों के बीच विशेष महत्त्व है।
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इन सभी शक्तिपीठों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि माता आदि शक्ति की कृपा देश विदेश ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त है और मां के पूजन का इन शक्ति पीठों में अलग ही महत्त्व है।
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Image Credit: Pinterest and wikipedia
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