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मकर संक्रांति से पहले घूमें यह शहर, यहां आसमान में लगता है ‘पतंगों का मेला’

पूरे देश में अलग-अलग नाम से मनाए जाने वाले त्‍योहार मकर संक्रांति पर अहमदाबाद में एक अनोखा मेला लगता है। इस मेले में देश विदेश से पतंगबाज आते हैं और पतंग से आसमान सजाते हैं। देखें तस्‍वीरें। 
Editorial
Updated:- 2020-01-15, 11:04 IST

 हर वर्ष 14 या 15 जनवरी को देश भर में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति के त्‍योहार को देश के अलग-अलग कोने में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। वर्ष 2020 में मकर संक्राती 15 जनवरी को पड़ रही है। वैसे तो यह त्‍योहार हर जगह ही धूम-धाम से मनाया जाता है मगर इस त्‍योहार को गुजरात में बेहद अनोखे ढंग से सेलिब्रेट किया जाता है। गुजरात में इस त्‍योहार को उत्‍तरायण के नाम से जाना जाता है और इस मौके पर गुजरात के अलग-अलग शहर में जैसे वडोदरा, राजकोट, गांधीनगर और अहमदाबाद में पतंग उड़ाई जाती हैं।

यह त्‍योहार अहमदाबाद में और भी बड़े स्‍तर पर मनाया जाता है और हर साल हफ्ते भर के लिए यहां पतंगों का मेला लगता है। इस  दौरान अहमदाबाद का आसमान पतंगों से सज जाता है और देश विदेश से लेग यहां पर पतंग उड़ाने की प्रतियोंगिता में हिस्‍सा लेने आते हैं।

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आपको बता दें कि इस वर्ष 2020 में अहमदाबाद में काइट फेस्टिवल 7 जनवरी से शुरू हो चुका है। इस फेस्टिवल में भारत समेत 45 देशों के लोगों ने हिस्‍सा लिया है और यहां पर एक साथ 150 प्रतिभागी पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता में लगे हुए हैं।  इस त्‍योहार के दौरान अहमदाबाद की रौनक ही कुछ और हो जाती है और यहां पर घूमने का मजा दोगुना हो जाता है। 

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आसमान में लगा पतंगों का मेला 

अहमदाबाद में लगने वाले पतंगों के मेले की सबसे खास बात यह है कि यहां पर आदमी और महिलाएं दोनों ही पतंग उड़ा सकते हैं। हालाकि भारत में पतंग उड़ाने का खेल हमेशा से पुरुषों की जागीर रहा है मगर उत्‍तरायण के मौके पर बच्‍चे से लेकर बूढ़ा तक और मेल-फीमेल हर कोई यहां पतंग उड़ता दिख जाता है। इस बार अहमदाबाद में महोत्‍सव 7 जनवरी से शुरू हो कर 14 जनवरी तक चलेग। इस महोत्‍सव में लोग तरह-तरह की पतंग उड़ाते दिख जाते हैं। कोई बलून के आकार पतंग उड़ता है तो कोई ड्रेगन, घोड़े, फ्रूट्स या फिर कार्टून के शेप की बड़ी-बड़ी पतंग उड़ाते हैं। मकर संक्रांति पर जरूर करें इन 3 चीजों का दान

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यहां आने की कोई एंट्री फीस नहीं होती और और यहां कोई भी आकर पतंगबाजी के कम्‍पीटीशन में हिस्‍सा ले सकता है। कम्‍पीटीशन में प्रतियोगी एक-दूसरे की पतंगों को बेशक काटते हुए नज़र आते हैं लेकिन फिर भी उनमें उत्साह का माहौल बना रहता है। लोग इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए अपने पसंदीदा पतंग वालों से मजबूत पतंगे बनवाते हैं। बांस, मजबूत मंझे से तैयार पतंगों से पेंच लड़ाना आसान नहीं होता। वैसे पुराने शहर में पतंग बाजार के नाम से पूरी एक मार्केट ही है। जो महोत्सव के दौरान पूरे 24 घंटे खुली रहती है।मकर संक्रांति पर घर में आसानी से बनाए तिल मूंगफली की गजक

विदेशों से आते हैं पतंगबाज 

पतंग उड़ाते बच्‍चों को देख हम हमेशा कहते हैं कि वह बड़े होकर क्‍या कर पाएगा। भारत में पतंग उड़ा भले ही शाही खेल रहा हो मगर, इसे अब ज्‍यादा अच्‍छा नहीं माना जाता और घरों में बच्‍चों को पतंग उड़ाने से रोका भी जाता है। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत एक ऐसा देश है जहां पर पतंग उड़ाने का इंटरनैशनल कम्‍पीटीशन होता है। इस प्रतियोगिता में देश-विदेश के मशहूर पतंगबाज आते हैं और अपनी खूबसूरत पतंगों से आसमान को सजाते हैं। आपको जान कर हैरानी होगी कि गुजरात भारत का सबसे ज्‍यादा पतंग उड़ाने वाला राज्‍य है और यहां केवल पतंग के व्‍यापार से तकरीबन 2 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। साथ ही इससे हर साल करोड़ों का टर्न ओवर भी मिलता है।

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यहां हर साल इंग्लैंड, अर्जेटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, बेलारुस, बेल्जियम, बुल्गारिया, कंबेडिया, कनाडा, फ्रांस, इंडोनेशिया, इजराय, इटली, मकाउ , स्विजरलैंड जैसे देशों के पतंगबाज आते हैं। इस बार भी 45 देशों से 150 पतंगबाजों ने हिस्सा लिया है। अगर आप यहां इस फेस्टिवल में हिस्‍सा लेने आ रही हैं तो आप फेस्टिवल के साथ गुजरात की संस्कृति और कला से भी रूबरू हो सकती हैं क्‍योंकि इस दौरान यहां पर तरह-तरह कें सांस्‍कृतिक कार्यक्रम होते हैं। 

 

इतिहास

पतंग उड़ाने की परंपरा पर्सिया से आए मुस्लिम व्यापारियों और चीन से आए बौद्ध लोगों की देन है। कहते हैं नवाबों के जमाने में पतंग उड़ाना मनोरंजन का एक अच्छा माध्यम हुआ करता था। लेकिन आज हर कोई पतंग उड़ा सकता है क्‍यों कि अब यह नवाबी खेल नहीं बचा। इसे तो अब भारत में अच्‍छा भी नहीं माना जाता है।अगर आज जनवरी महीने में गुजरात यात्रा पर है तो बिना किसी रोक-टोक इसमें शामिल हो सकते हैं।  

 

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