तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है, जो केवल अपने खान-पान, संस्कृति या केवल घूमने की बेहतरीन जगहों के लिए ही नहीं जाना जाता। बल्कि यहां पर असंख्य मंदिर हैं, जो यहां के लोगों की आस्था के प्रतीक हैं। वहीं कुछ मंदिर ऐसे भी है, जिनका अपना एक अलग ऐतिहासिक महत्व है। यूं तो तमिलनाडु में भगवान विष्णु से लेकर भगवान मुरगन के मंदिर स्थित हैं। लेकिन यहां पर भगवान शिव को समर्पित मंदिरों की संख्या सबसे अधिक है।
अगर तमिलनाडु में स्थित शिव मंदिर की बात की जाए तो इसमें बृहदेश्वर मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है और इसकी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इसके अलावा भी तमिलनाडु में कई अन्य शिव मंदिर है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको तमिलनाडु में स्थित कुछ बेहतरीन शिव मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में जानकर आप भी मंत्रमुग्ध हो जाएंगे-
रामनाथस्वामी मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है और इस लिहाज से यह मंदिर शिव भक्तों के लिए एक बेहद ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। रामनाथस्वामी मंदिर की एक खासियत यह है कि इस मंदिर का गलियारा भारत के सभी हिंदू मंदिरों में सबसे लंबा है। यह स्थल पवित्र चार धाम यात्रा का हिस्सा है। यहां भगवान शिव को रामनाथस्वामी के रूप में पूजा जाता है और मंदिर में दो लिंगम हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक देवी सीता द्वारा बनाया गया था और दूसरा कैलाश पर्वत से भगवान हनुमान द्वारा लाया गया था।
तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर को भारत के बड़े मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह एक विश्व धरोहर स्थल है और यह भारत के ग्रेट लिविंग चोला टेम्पल का हिस्सा है। यह तमिलनाडु के सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक है। मंदिर में देश के सबसे ऊंचे मंदिर टॉवर में से एक है और नंदी बैल की सबसे ऊंची प्रतिमा भी है।
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चिदंबरम में थिल्लई नटराज मंदिर भगवान शिव नटराज को समर्पित है और यहां पर भगवान शिव की नटराज के रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर पांच सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक है और दुनिया के तीन सबसे प्रमुख शिव निवासों में से एक है। इस मंदिर की गिनती तमिलनाडु के सबसे पुराने शिव मंदिर में होती है।
एकम्बरेश्वर मंदिर कांचीपुरम के शीर्ष शिव मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि मंदिर परिसर चोल राजवंश के शासन के दौरान बनाया गया था। यह मंदिर पंच भूत स्थलों के पृथ्वी लिंगम तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। मंदिर में चार सबसे ऊंचे प्रवेश द्वार गोपुरम हैं और इस मंदिर का परिसर बहुत बड़ा है। इस मंदिर परिसर में एक विष्णु मंदिर भी है।
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जलकंदेश्वर मंदिर विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। यह वेल्लोर किले के अंदर स्थित है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रबंधित किया जाता है। भगवान शिव के देवता को जलकंदेश्वर कहा जाता है क्योंकि कहा जाता है कि लिंगम पानी से घिरे एक एंथिल के अंदर पाया गया था।
गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर के समान है, लेकिन यह आकार में बहुत छोटा है। गंगईकोंडाचोलेश्वरम मंदिर भी तीन ’ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स’ में से एक है। आकार में छोटा होने के बावजूद भी इस मंदिर में भक्तगण यहां पर बड़ी संख्या में आते हैं।
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Image Credit- curlytales , templepurohit, Wikimedia, holidify
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