इतिहास के पन्नों में कई ऐसी कहानियां बिखरी हुई हैं, जो अधूरी तो हैं लेकिन वह अमर हैं और उन्हें अभी तक याद किया जाता है जैसे लैला-मजनू, हीर-रांझा, रोमियो-जूलियट आदि की। उन्हीं में से एक सलीम-अनारकली की अधूरी कहानी है, जो एक दूसरे के लिए तो बने थे लेकिन दुनिया वालों को उनकी मोहब्बत रास नहीं आई और उनकी अमर मोहब्बत एक मकबरे में कैद हो गई। जी हां, आज हम आपको ऐसे मकबरे के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 'अनारकली मकबरा' के नाम से जाना जाता है। कहां जाता है कि अनारकली के अवशेषों को वहीं दफन किया गया था। तो चलिए जानते हैं अनारकली मकबरे के बारे में....
मुगल साम्राज्य का दौर लगभग सन 1526 से 1707 तक रहा, जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी। इसके बाद हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां आदि के बाद अंतिम मुगल शासक औरंगजेब था। जिन्होंने अपने शासन के दौरान समाज का निर्माण किया। इसके अलावा, कुछ महिलाएं भी थी, जिन्हें अपना योगदान नीति-निर्माण में दिया और उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
अनारकली का नाम नादिरा बेगम था लेकिन उन्हें शर्फुन्निसा नाम से भी पुकारा जाता था। इतिहास कहता है कि वह ईरान से आई थीं यह इतनी खूबसूरती थी कि उन्हें जो भी देखता था, तो उनकी खूबसूरती का कायल हो जाता था। इसी तरह सलीम भी नादिरा के दीवाने हो गए थे और इसलिए उन्हें अनारकली नाम से पुकारा गया।
'अनारकली' का मकबरा परंपरागत रूप से राजकुमार सलीम (बाद के सम्राट जहांगीर) की प्रेमिका अनारकली के नाम से बनवाया गया है। जहांगीर ने सत्ता संभालने के बाद अनारकली के मकबरे का निर्माण करवाया था। यह 'अनारकली मकबरे' के तौर पर 1615 में बनकर तैयार हो गया था।
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यह मकबरा मूल रूप से आसफ खां मकबरे की तरह बनाया गया है, जो बड़े बगीचे के केंद्र में स्थित है। लगभग 1800 के दशक की शुरुआत में इस पर रणजीत सिंह के बेटे खड़क सिंह का कब्जा था, और बाद में इसे सिख सेना में एक फ्रांसीसी अधिकारी जनरल वेंचुरा के निवास में बदल दिया गया था। 1851 में इसे एक ईसाई चर्च में परिवर्तित कर दिया गया था और बड़े पैमाने पर बंद किए गए धनुषाकार उद्घाटन के साथ काफी हद तक फिर से तैयार किया गया था। वर्तमान समय में इसका उपयोग पंजाब अभिलेख कार्यालय के लिए एक पुस्तकालय के रूप में किया जाता है और यह पाकिस्तान में स्थित है।
सलीम (बाद में जहांगीर) और अनारकली की मोहब्बत पिता शहंशाह अकबर को तनिक भी रास नहीं आई और उन्होंने अनारकली को दीवारों (जहां अब मकबरा) में चुनवाने का फरमान सुना दिया। आपको बता दें कि उस पर (अनारकली) राजकुमार सलीम (बाद में जहांगीर) के साथ अवैध प्रेम संबंध रखने का आरोप लगाया गया था और लगभग 1599 में उसे मार दिया गया था। अनारकली ने भी सलीम की जान बचाने के लिए खुशी-खुशी मौत को गले लगा लिया था।
बाद में, जहांगीर ने यहां मकबरा बनवाया और वहीं अनारकली की कब्र भी बनवाई यहां उसे दफन किया गया था। इसके अलावा, आपको बता दें कि अनारकली की इस कब्र पर दो तारीख लिखी हैं जिसमें से एक हैं 1008 हिजरी (1599 ई.), और दूसरी है 1025 हिजरी (1615 ई.) है। यानि पहली तारीख अनारकली की मौतकी है और दूसरी मकबरे का काम पूरा होने की तारीख है।
अनारकली का मकबरा मुगल काल की सबसे महत्वपूर्ण इमारतों में से एक है। वर्तमान समय में अनारकली का मकबरा पाकिस्तान के लाहौर में स्थित है। अनारकली उस क्षेत्र का नाम भी है जहां यह मकबरा स्थित है।
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सलीम और अनारकली की अमर कहानी पर फिल्म भी बनाई गई है, नाटक भी किए गए हैं। अगर आप पाकिस्तान जाएं तो अनारकली का मकबरा ज़रूर घूमें। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो इसे शेयर ज़रूर करें साथ ही जुड़े रहें हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@google and travel website)
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