बेहद खूबसूरत है पर्वत पर बसा कार्तिक स्वामी मंदिर, तय करना होता है 80 सीढ़ियों का सफर

उत्तराखंड के गढ़वाल में घूमने आए तो कार्तिक स्वामी मंदिर में दर्शन करने जरूर जाए। इस मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है।

kartik swami temple uttarakhand

वैसे तो उत्तराखंड खूबसूरती का खजाना है, लेकिन यहां कई ऐसे धार्मिक स्थल है, जहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। उत्तराखंड में असंख्य मंदिरों का घर है, जिनमें से कई पौराणिक काल से संबंध रखते हैं। इस जगह पर सिर्फ भगवान शिव ही नहीं बल्कि अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं, जहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। आज ऐसे ही एक ऐसे ही धार्मिक स्थल का जिक्र करने जा रहे हैं, जिसका संबंध पौराणिक काल से है।

इस मंदिर को लेकर कई ऐसी मान्यताएं और कथा है, जिनकी जानकारी लोगों को कम होती है। उत्तराखंड के गढ़वाल में घूमने आए लोग बिना इस मंदिर में मत्था टेके वापस नहीं जाते हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर की। यह हिंदुओं के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है, जो भगवान शिव के पुत्र कार्तिक को समर्पित है।

पहाड़ों पर स्थित है कार्तिक स्वामी मंदिर

kartik swami god temple

कार्तिक स्वामी मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना बताया जाता है। गढ़वाल में यह मंदिर समुद्र तल से करीब 3050 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर को लेकर ऐसी कि पौराणिक किवदंती है। कहा जाता है कि इस जगह पर कार्तिक ने अपनी हड्डियां भगवान शिव को समर्पित की थी। दरअसल एक दिन भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों को ब्रह्मांड के 7 चक्कर लगाने के लिए कहा था। जिसके बाद भगवान कार्तिक निकल गए, लेकिन कुछ देर बाद गणेश जी अपने माता-पिता यानी भगवान शिव और पार्वती के 7 चक्कर लगाए और कहा कि उनके लिए वहीं दोनों ब्रह्मांड है। इस उत्तर से भगवान शिव गणेश जी प्रसन्न हुए और उन्हें सौभाग्य प्रदान किया कि आज से उनकी पूजा सबसे पहले होगी। वहीं जब भगवान कार्तिक वापस लौटते हैं तो उन्हें इस बारे मे जानकारी होती है। यह सुनने के बाद वह अपने शरीर को त्याग देते हैं और अपनी हड्डियों को भगवान शिव को समर्पित कर दिया।

कार्तिक स्वामी मंदिर जाने का सही समय

कार्तिक स्वामी का मंदिर उत्तराखंड के अलावा दक्षिण भारत में भी है। हालांकि दिल्ली से पास होने की वजह से ज्यादातर लोग यहां आते रहते हैं। यही नहीं इस मंदिर की घंटियां दूर-दूर तक सुनाई देती है। श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 80 सीढ़ियां चढ़नी होंगी। आसपास ऐसे कई रोमांचक जगहें भी जहां अक्सर टूरिस्ट आते हैं। शाम की आरती काफी खास होती है, जिसकी वजह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी रहती है। अगर आप एडवेंचर का शौक रखती हैं और ट्रैक करना पसंद है तो इस मंदिर में दर्शन के लिए जरूर आए। मंदिर के अलावा यहां के ऑफबीट डेस्टिनेशन को एक्सप्लोर कर सकती हैं। यहां आने के लिए सही समय अक्टूबर से मार्च तक का समय है।

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कैसे पहुंचे कार्तिक स्वामी मंदिर

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कार्तिक स्वामी मंदिर पहुंचने के लिए ट्रेन,बस फ्लाइट तीनों सेवाएं उपलब्धहै, लेकिन बेस्ट बस और ट्रेन सेवाएं रहेंगी। यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले से 38 किलोमीटर की दूरी पर कनक चौरी गाँव में स्थित है। जिसके लिए आपको बस सेवाएं आसानी से मिल जाएंगी। इसके लिए आपको रुद्रप्रयाग से पोखरी मार्ग की तरफ जाने वाली बस लेना होगा, जो आपको कनक चौरी गांव तक पहुंचा देंगे। कनक चौरी गांव से आपको करीब 3 किलोमीटर तक ट्रैक करके कार्तिक स्वामी मंदिर तक पहुंचना होगा। हालांकि, इसकी चढ़ाई ऊपर की ओर होगी, जिसमें लोगों को काफी थकावट होती है।

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उम्मीद है कि कार्तिक स्वामी मंदिर से जुड़ी यह जानकारी आपको पसंद आई होगी।अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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