हर व्यक्ति खुद को शांति प्रदान करने के लिए घूमना चाहता है। शायद यही कारण है कि अधिकतर लोग अपनी आध्यात्मिक शांति के लिए मंदिरों में घूमने की योजना बनाते हैं। अगर आप भी ऐसी ही किसी जगह पर जाना चाहते हैं तो आपको चिदम्बरम अवश्य जाना चाहिए। चेन्नई से लगभग 250 किलोमीटर दूर स्थित यह छोटा सा शहर दक्षिण भारत के टेम्पल टाउन के रूप में जाना जाता है। चिदंबरम भारत के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और लाखों लोग सालभर यहां दर्शन के लिए आते हैं।
यहां पर कई ऐसे मंदिर हैं, जहां पर जाकर आपको शांति का अहसास होगा। हालांकि शहर के अधिकांश मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं, लेकिन इसके अलावा भी यहां पर कई अन्य मंदिर हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको चिदम्बरम में मौजूद मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जिनके दर्शन आपको भी अवश्य करने चाहिए-
थिल्लई नटराज मंदिर की गिनती चिदम्बरम के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में होती है। यह चिदम्बरम रेलवे स्टेशन से एक किमी से भी कम दूरी पर स्थित है। यह एक बेहद प्राचीन शिव मंदिर है, जो लगभग 40 एकड़ में फैला है। इस मंदिर में भगवान शिव की नटराज रूप में पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि थिल्लई नटराज मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया था।
मंदिर के अंदर की दीवार की नक्काशी और कलाकृतियां बस देखते ही बनती हैं। इस मंदिर में हर साल महा शिवरात्रि के अवसर पर नाट्यांजलि डांस फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है।
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चिदम्बरम में थिल्लई काली अम्मन मंदिर का भी अपना एक अलग महत्व है। यह थिल्लई नटराज मंदिर के नॉर्थ में स्थित है। इस मंदिर में देवी काली का पूजन किया जाता है। इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी है, जो बेहद ही प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव के साथ एक नृत्य प्रतियोगिता हारने के बाद देवी पार्वती क्रोधित हो गईं। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य यह तय करना था कि कौन अधिक श्रेष्ठ है।
उन्होंने काली का रूप धारण किया और बाद में भगवान ब्रह्मा ने वेदों का जाप और स्तुति करके उनके क्रोध को शांत किया। इसलिए थिल्लई काली एक क्रोधित रूप हैं और इसलिए मंदिर के अंदर की मूर्ति के चार चेहरे हैं।
तिरुवेटकलम मंदिर का अपना एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। इस मंदिर से जुड़ी कई तरह की कहानियां हैं। एक मान्यता के अनुसार, यह मंदिर उसी स्थान पर स्थित है जहां भगवान शिव ने युद्ध किया था और युद्ध के दौरान अपना धनुष तोड़कर अर्जुन को हराया था। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि यह वह स्थान है जहां अर्जुन को भगवान शिव से पाशुपतास्त्र प्राप्त हुआ था। तिरुवेटकलम मंदिर में भगवान शिव को पाशुपतेश्वर के रूप में पूजा जाता है। तमिल महीने वैकासी (मई-जून) में मंदिर में एक त्योहार आयोजित किया जाता है और इस दौरान यहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
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अचलपुरम मंदिर चिदम्बरम से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अचलपुरम गांव में यह भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। यहां के इष्टदेव एक सुनहरे सांप से लिपटे हुए शिव लिंग के रूप में हैं, जिसका फन लिंग को ढकता है। इस मंदिर में भगवान शिव को श्री शिवलोकत्यागेश्वर के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की शानदार वास्तुकला देखने लायक है।
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Image Credit- wikipedia
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