डलहौजी में बने इस नए पार्क की तरफ हजारों टूरिस्ट्स आकर्षित हो रहे हैं, अगर आप डलहौजी जा रही हैं तो डिफेंस पार्क जाना ना भूलना। देश के सर्वाधिक लोकप्रिय हिल स्टेशनों में शुमार डलहौजी में पर्यटकों व स्थानीय लोगों के लिए 'डिफेंस पार्क' नए आकर्षण के रूप में तेजी से उभर रहा है। धौलाधार पर्वत श्रंखलाओं के पश्चिमी छोर पर स्थित डलहौजी पब्लिक स्कूल के कैंपस में स्थापित डिफेंस पार्क पर हर दिन टूरिस्ट्स का तांता लगा रहता है।
साल 2017 में करीब छह लाख टूरिस्ट्स इस पार्क को देखने पहुंचे थे। समुद्र तट से 6,460 फुट ऊंचाई पर स्थित डलहौजी पर्यटक स्थल को मिनी स्विट्जरलैंड खजियार से जोड़ने वाले मार्ग पर स्थित इस डिफेंस पार्क का माताओं को समर्पित करते हुए 'वीजी पार्क' नामकरण किया गया है। यह पार्क बंजर भूमि के बेहतर उपयोग का जीवंत उदाहरण है।
डलहौजी का डिफेंस पार्क
डलहौजी पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉक्टर जी.एस. ढिल्लों ने बताया कि वर्ष 2017 के दौरान लगभग छह लाख भारतीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों ने इस डिफेंस पार्क का भ्रमण किया। उन्होंने बताया कि लगभग 1500 पर्यटक प्रतिदिन स्वछंद वातावरण तथा बर्फीली धैलाधर पर्वत श्रृंखलाओं का आनंद उठाने के लिए इस डिफेंस पार्क का भ्रमण करते हैं क्योंकि इस पार्क से धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं का अत्यंत मनमोहक दृश्य दिखाई देता है।
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उन्होंने बताया कि स्कूल परिसर में डिफेंस पार्क से बच्चों को अपने गौरवमयी इतिहास की जानकारी मिलती है और उनके मन मस्तिष्क में देशभक्ति की भावना जाग्रत होती है। उन्होंने बताया कि इस डिफेंस पार्क में स्कूल प्रशासन द्वारा वर्ष 1971 युद्ध तथा कारगिल विजय दिवस का आयोजन किया जाता है, जिसमें बच्चों की अधिकतम सहभागिता सुनिश्चित की जाती है।
इस पहले डिफेंस पार्क का उद्घाटन 15 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने किया। वीजी डिफेंस पार्क में सभी टी-70 टैंक तथा दूसरे हाई-टेक सैन्य उपकरण प्रदर्शित किए गए हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 तथा कारगिल की लड़ाई में भारत के विजय अभियान में अहम भूमिका अदा की थी। तत्कालीन एयर चीफ मार्शल एन.ए. के ब्राउन ने सात अक्टूबर 2013 को डिफेंस पार्क को मिग-21 फाइटर एयर क्राफ्ट भेंट किया जबकि 15 मार्च 2015 को तत्कालीन एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने जमीन से आसमान पर मार करने वाले मिसाइल डिफेंस पार्क को भेंट की। पार्क को टी-55 रूसी लड़ाकू टैंक पश्चिमी नेवी कमांड ने भेंट किए।
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पश्चिमी नेवी कमांड द्वारा डलहौजी पब्लिक स्कूल के डिफेंस पार्क को प्रदान किए गए युद्धपोत का नाम आई.एन.एस. मदान सिंह रखा गया है। भारतीय नेवी ने अपने एक युद्धपोत को सरदार मोहन सिंह को समर्पित किया है। सरदार मोहन सिंह ने एक युवा नेवी अधिकारी के तौर पर वर्ष 1946 के नेवी विद्रोह में अहम भूमिका अदा की थी, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी।
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