हुमायूं और सफदरजंग मकबरे को छोड़ इस बार दिल्ली के इन मकबरों की करें सैर

आज हम आपको दिल्ली के उन मकबरों के बारे में बताएंगे जो अभी भी पर्यटों की नजरों से काफी दूर है। तो चलिए जानते हैं कौन-से हैं ये मकबरे। 

  • Hema Pant
  • Editorial
  • Updated - 2022-01-13, 17:36 IST
historical monuments in delhi

दिल्ली में कई ऐतिहासिक इमारतें और मकबरे हैं। लेकिन हम में से ज्यादातर लोग केवल हुमायूं और सफदरजंग मकबरों के बारे में ही जानते हैं। हालांकि, इन दोनों के अलावा भी दिल्ली में कई अन्य ऐतिहासिक मकबरे मौजूद हैं। हर मकबरा बेहद खास है और इनकी बनावट भी देखने लायक है। अब जब भी आप कभी घूमने जाएं तो इन मकबरों को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें।

आधम खान का मकबरा

adam khan tomb

आधम खान का मकबरा महरौली में स्थित है। इस मकबरे को 1562 में बनाया गया था। इस मकबरे की सरंचना देखने लायक है। बता दें कि आधम खान मुगल शासक अकबर का सेनापति खा, जिसने के दूसरे सेनापति अतागा खान को मारा था। लेकिन बादशाह अकबर ने आधम खान के नाम पर इस मकबरे की नींव रखी थी और इस मकबरे में आधम खान की मां रहती थी। लेकिन अपने बेटे के मरने के करीब 40 दिन बाद वह भी मर गई थीं। आपको एक बार इस मकबरे को देखने जरूर जाना चाहिए। आप यहां पर फोटोशूट भी करवा सकते हैं।

अफसरवाला मकबरा

afsarwala tomb

यह मकबरा भी हुमायूं कॉप्लेक्स में स्थित है। इस मकबरे में एक अज्ञात व्यक्ति की कब्र मौजूद है। बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा यह कहा गया है कि "अफसरवाला मकबरा" नाम फारसी शब्द अफसर से लिया गया है, जो कि अग्रेंजी शब्द ऑफिसर से लिया गया है, जिसके कारण इस मकबरे का नाम अफसरवाला मकबरा रखा गया होगा।

एक और थ्योरी के अनुसार कहा जाता है कि यह नाम एक फारसी आदिवासी अफसर को इंगित करता है, जो कि मुगल दरबार में काम करते था और जिसने भारत में वापसी और कब्जा करने में हुमायूं की मदद की थी। इस मकबरे के अंदर कई कब्रे मौजूद हैं, जिनमें से एक कब्र पर 974 संख्या लिखी गई है। जिसके लिए यह कहा गया है कि यह नंबर 974 एएच इस्लामी कैलेंडर को इंगित करता है, जिससे यह पता चलता है कि इस मकबरे को करीब 1566 और 1567 के बीच बनाया गया होगा।

इसे भी पढ़ें:इस बार घूम आएं कनॉट प्लेस के म्यूजिम ऑफ इल्यूजन , जानें क्या है खास


ईसा खान

ईसा खान का मकबरा सनकेन गार्डन की वजह से बेहद प्रसिद्ध है। यह मकबरा दिल्ली के हुमायूं टॉम्ब कॉप्लेक्स में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि 1562 से लेकर 1571 के बीच में इस मकबरे का निर्माण किया था। यह मकबरा शेर शाह सूरी के दरबार अफगान व्यक्ति ईसा खान का है। यह मकबरा ऑक्टैंगल आकार के बगीचे से घिरा हुआ है। क्योंकि कम लोग ही इस मकबरे के बारे में जानते हैं, इसलिए यहां पर लोगों की भीड़ भी काफी कम रहती है। आप अपना वीकेंड यहां गुजार सकते हैं और इस शानदार मकबरे को देख सकते हैं।

नीला गुबंद

neela guband

यह भी हुमायूं कॉप्लेक्स के भीतर स्थित एक मकबरा है। हालांकि, इस मकबरे में जिस व्यक्ति को दफनाया गया है उसके बारे में अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हुआ है कि वह कौन है। लेकिन कई लोगों का मानना है कि यह मुगल रईस के एक सेवक का मकबरा है, जिसे जहांगीर के शासनकाल के दौरान दफनाया गया था।

वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि यह मकबरा हुमायूं के मकबरे से भी पहले बनाया गया था और तब इस मकबरे पर चमकते हुए टाइल्स नजर आती थी, जिसकी चमक अब फीकी हो गई है और आधे से ज्यादा नष्ट हो गए हैं। साथ ही इसे नीला गुबंद इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इस गुबंद का रंग नीला है। यह मकबरा देखने में बेहद खूबसूरत है और इसके आसपास हरियाली मौजूद है।

इसे भी पढ़ें:जानिए क्यों खास है शेर शाह सूरी का मकबरा

बू हलीमा मकबरा

bu halim tomb

बू हलीमा मकबरा भी दिल्ली में स्थित है। हम में से बेहद ही कम लोग इस मकबरेके बारे में जानते हैं। अन्य मकबरों की तरह ही यह मकबरा भी देखने में बेहद खूबसूरत है। इस मकबरे के चारों ओर हरी-हरी घास और बगीचा मौजूद है।

उम्मीद है कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं और जुड़े रहें हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।

Recommended Video

Image Credit: Google.com

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP