पूजा पाठ को हिंदू धर्म और विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं में एक पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। यह एक ऐसी प्रथा है जिसमें देवताओं के प्रति भक्ति, प्रार्थना और प्रसाद को शामिल किया जाता है।
घर का मंदिर वह पवित्र स्थान होता है जो पूरी तरह से ईश्वर भक्ति को समर्पित होता है और इस स्थान पर सदैव शांति पूर्ण वातावरण बना रहता है। यही नहीं मन की शांति के लिए भी लोग इसी स्थान पर बैठते हैं और ईश्वर की तरफ ध्यान केंद्रित करते हैं।
जिस प्रकार पूजा-पाठ से घर में समृद्धि बनी रहती है उसी प्रकार पूजा करने के भी कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं जिनका पालन जरूरी माना जाता है। इन्हीं नियमों में से एक है पूजा करते समय सही दिशा का चुनाव।
यदि हम पूजा करते समय सही दिशा की ओर मुख करके बैठते हैं तो पूजा का पूर्ण फल मिलता है और पूजा स्वीकार्य मानी जाती है, वहीं गलत दिशा में बैठकर की गई पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें पूजा की सही दिशा के बारे में।
पूजा करते समय दिशा का महत्व
ज्योतिष में दिशा की अवधारणा इस विश्वास में निहित है कि विभिन्न दिशाएं विशिष्ट ऊर्जाओं और ब्रह्मांडीय शक्तियों से जुड़ी होती हैं। स्वयं को एक विशेष दिशा के साथ संरेखित करना इन ऊर्जाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने और आध्यात्मिक प्रयासों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।
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पूजा करते समय आपका मुख किस दिशा में होना चाहिए
ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि आप जिस समय पूजा करें उस समय आपका मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। पूर्व दिशा को सूर्य के उगने की दिशा के रूप में देखा जाता है और इस स्थान पर पूरी तरह से सूर्य की ऊर्जा का संचार होता है, इसी वजह से पूजा के दौरान पूर्व दिशा की ओर मुख करना शुभ माना जाता है।
पूर्व उगते सूरज से जुड़ा है, जो प्रकाश के उद्भव और एक नए दिन की शुरुआत का प्रतीक है। पूर्व दिशा की ओर मुख करके की गई पूजा से सूर्य से जुड़ी सकारात्मक और शुद्ध ऊर्जा प्राप्त होती है जो व्यक्ति के हृदय को पवित्र बनाने में मदद करती है।
पूजा के लिए उत्तर दिशा भी है शुभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जितना महत्वपूर्ण पूर्व दिशा की तरफ मुख करके पूजा करना है उतना ही उत्तर दिशा की तरफ भी। उत्तर दिशा को घर की समृद्धि और प्रचुरता से जोड़ा जाता है, इसी वजह से इस दिशा की तरफ मुख करके पूजा करने से घर में सदैव सुख समृद्धि बनी रहती है और प्रचुरता का आशीर्वाद मिलता है।
इसके साथ ही उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर से जोड़ा जाता है और इस दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से धन का आगमन सुचारु बना रहता है। यदि इस दिशा में बैठकर आप पूजा करते हैं तो ये खुशहाली को आकर्षित करता है।
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पूजा के दौरान इन दिशाओं की तरफ मुख करके न बैठें
पूजा के दौरान आपको भूलकर भी दक्षिण दिशा (घर की दक्षिण दिशा में जरूर रखें ये चीजें) की तरफ मुख करके नहीं बैठना चाहिए, इस दिशा को पितरों की दिशा के रूप में देखा जाता है और पूजन के दौरान इस दिशा में बैठने से पूजा स्वीकार्य नहीं होती है और पूजन का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
घर में पूजा का स्थान और मूर्तियों की सही दिशा
वास्तु के अनुसार, घर का उत्तर-पूर्व कोना पूजा के स्थान के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिशा की ओर मुख करके की गई पूजा आध्यात्मिक तरंगों को बढ़ाती है और पूजा का पूर्ण फल प्रदान करती है।
घर के मंदिर में भगवान का मुख हमेशा ऐसे होना चाहिए कि पूजा करने वाले का मुंह पूर्व दिशा की तरफ हो। इस दिशा को पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार घर का मंदिर हमेशा ईशान कोण में रखना चाहिए। इससे पूजा का पूर्ण फल मिलता है।
यदि आपके घर पर एक पूजा का विशेष स्थान है तो देवता या पवित्र वस्तुओं का स्थान भी वास्तु के द्वारा चुनी हुई दिशा के अनुरूप होना चाहिए। यह पवित्र स्थान पूजा करने वाले व्यक्ति के मन में ऊर्जा का संचार करता है।
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