हरिद्वार की मनसा देवी कौन हैं? आखिर ये किसकी पुत्री हैं और क्यों कहा जाता है इन्हें नागों की मां? यहां जानें विस्तार से

मनसा देवी मंदिर हरिद्वार के पंच तीर्थ में से एक है और इसे एक 'सिद्ध पीठ' माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यहां मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अब ऐसे में मनसा देवी आखिर कौन हैं और इन्हें नागों की माता क्यों कहा जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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भारत में देवी-देवताओं और उनसे जुड़ी कहानियों बेहद रोचक मानी जाती है। उत्तराखंड की पावन भूमि पर स्थित हरिद्वार में विराजमान मनसा देवी भी उन्हीं पूज्य देवियों में से एक हैं, जिनकी महिमा अपरंपार है। हर साल लाखों श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मनसा देवी कौन हैं? वे किसकी पुत्री हैं और क्यों उन्हें नागों की माँ कहा जाता है? इन सभी रहस्यों को जानने के लिए इस लेख आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

हरिद्वार की मनसा देवी कौन हैं?

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मनसा देवी को 'मनसा' इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनसा देवी नागराज वासुकी की बहन और महर्षि कश्यप की पुत्री हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, वे भगवान शिव की मानस पुत्री भी मानी जाती हैं। उन्हें मुख्य रूप से सर्पों की देवी के रूप में पूजा जाता है, और यह माना जाता है कि उनकी पूजा करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और सर्पदंश का भय दूर होता है।

हरिद्वार की मनसा देवी किसकी पुत्री हैं?

पौराणिक मान्यताओं और विभिन्न धर्मग्रंथों के अनुसार, देवी मनसा को भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री माना जाता है। कुछ ग्रंथों में उन्हें भगवान शिव की 'मानस पुत्री' कहा गया है, जिसका अर्थ है कि उनका जन्म शिव के मस्तिष्क से हुआ था। इसी कारण उन्हें 'मनसा' नाम से जाना जाता है। कुछ कथाओं में उन्हें ऋषि कश्यप की मानसी कन्या भी बताया गया है। इसके अलावा, उन्हें नागों के राजा वासुकी की बहन के रूप में भी पूजा जाता है।

मनसा देवी को क्यों कहा जाता है नागों की माता?

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कथाओं के अनुसार, मनसा देवी भगवान शिव के मन से उत्पन्न हुई थीं। जब भगवान शिव ने हलाहल विष पिया, तो वे अत्यंत पीड़ा में थे। उस समय उनके मन से एक देवी प्रकट हुईं, जिन्होंने अपने प्रभाव से शिव के शरीर से विष का शमन किया। यहीं से उनका नाम 'मनसा' पड़ा और विष को हरने की उनकी शक्ति स्थापित हुई। मनसा देवी को नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी जाना जाता है। वासुकी, जो भगवान शिव के गले में रहते हैं, नागों के राजा हैं।

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मनसा देवी की पूजा का महत्व

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हरिद्वार स्थित मनसा देवी का मंदिर एक सिद्ध पीठ माना जाता है। यहां भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मनसा देवी को संतानदात्री के रूप में भी पूजा जाता है। जिन दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती, वे मनसा देवी की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि देवी की कृपा से उन्हें स्वस्थ और सुयोग्य संतान का वरदान प्राप्त होता है। मनसा देवी को सिर्फ सर्पदंश से ही नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाने वाली देवी भी माना जाता है। भक्त अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों से बचाव के लिए उनकी आराधना करते हैं। खासकर त्वचा संबंधी रोगों और संक्रमणों में उनकी पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।

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Image Credit- HerZindagi

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