Krishna Saying: किसी भी नए काम की शुरुआत से पहले क्यों उसे गुप्त रखना चाहिए?

अक्सर आपने सुना होगा कि घर के बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि किसी भी नए काम को शुरू करने से पहले किसी को भी उसके बारे में नहीं बताना चाहिए, लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि ऐसा क्यों है। 
why new work should be kept secret before starting it

अक्सर आपने सुना होगा कि घर के बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि किसी भी नए काम को शुरू करने से पहले किसी को भी उसके बारे में नहीं बताना चाहिए, लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि ऐसा क्यों है। ज्यादातर लोग या तो इसे अंधविश्वास मानकर नकार देते होंगे या फिर बड़े कह रहे हैं सिर्फ यही सोचकर इस बात का अनुसरण करते होंगे। मगर आपको बता दें कि यह मात्र हवा में कही गई बात नहीं है बल्कि इसके पीछे का तर्क भी मौजूद है जिसके बारे में श्री कृष्ण ने अपनी लीला के दौरान कहा है। आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

किसी भी काम के शुरू होने से पहले उसे गुप्त रखने से क्या होता है?

श्री कृष्ण की एक लीला के अनुसार, जब एक बार श्री कृष्ण अर्जुन के साथ अपने महल द्वारका पहुंचते थे तब अर्जुन की भेंट श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा से हुई थी। सुभद्रा से मिलने के बाद अर्जुन को उनके प्रति प्रेम का अनुभव हुआ और सुभद्रा की भावनाएं भी अर्जुन के प्रति समान ही थीं।

kisi bhi naye kaam ko shuru karne se pehle use gupt rakhne se kya hota hai

अर्जुन और सुभद्रा के प्रेम को श्री कृष्ण भांप गए थे। इसके बाद जब श्री कृष्ण बलराम जी से दोनों के विवाह की बात करने पहुंचे तब तक उससे पहले ही श्री बलराम जी ने सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से तय कर दिया था। अर्जुन को जब इस बात का पता चला तो वह श्री कृष्ण से मिलने पहुंचे।

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अर्जुन ने श्री कृष्ण से कहा कि वह सुभद्रा को भगा कर विवाह कर लेंगे तब श्री कृष्ण ने अर्जुन से यह बात कही थी कि किसी भी कार्य के बारे में तब तक किसी को भी कानों कान पता नहीं चलना चाहिए जबतक कि उसमें सफल न जाओ, नहीं तो इससे व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

kisi bhi naye kaam ko shuru karne se pehle use gupt kyu rakhte hain

महाभारत में भी इस घटना का उल्लेख मिलता है और श्री कृष्ण की इस बात को श्लोक के माद्यम से बताया गया है। यहां श्री कृष्ण के ऐसा कहने के पीछे का तर्क यह था कि किसी काम को करने से पहले ही उसका ढिंढोरा पीटने से वह काम कभी सफल नहीं हो पाता है बल्कि अपूर्ण ही रह जाता है।

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काम के सफल न हो पाने के पीछे कभी कुदृष्टि कारण बनती है तो कभी शत्रु द्वारा रोकने के प्रयासों का षड़यंत्र। यह एक मात्र प्रसंग नहीं है जब श्री कृष्ण ने इस बात को कहा था। महाभारत युद्ध के दौरान भी कई परिस्थितियों में श्री कृष्ण ने अर्जुन से अपनी यह बात दौहराई थी।

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image credit: herzindagi

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  • सफल होने के लिए गीता के किस श्लोक का पाठ करें?

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