Ramayan Granth Ka Rahaysa: हिन्दू धर्म में रामायण ग्रंथ का बहुत महत्व माना जाता है। रामायण को घर में रखने से लेकर इसका रोजाना पाठ करने तक को बहुत लाभकारी माना जाता है। जहां एक ओर रामायण से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं जो आज भी एक रहस्य बनी हुई हैं। वहीं, रामायण ग्रंथ से जुड़ा भी एक रहस्य जो आज भी अबूझ है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि संपूर्ण रामायण ग्रंथ में एक अक्षर का प्रयोग नहीं हुआ है। आइये जानते हैं इस बारे में।
रामायण ग्रंथ की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण को संस्कृत भाषा में लिखा था। ऐसे में वाल्मीकि रामायण में वर्णमाला में आने वाले हर शब्द का प्रयोग प्रभु श्री राम की लीलाओं को वर्णित करने में किया गया है।
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वहीं, एक रामायण और जिसे तुलसीदास जी ने लिखा था। तुलसी दास द्वारा रचित इस रामायण का नाम रामचरित मानस पड़ा। रामचरितमानस अवधि भाषा में लिखी गई है और इसी रामचरितमानस (रामचरितमानस पाठ के नियम) से वर्णमाला का वो एक अक्षर गायब है।
असल में रामचरितमानस में 'श' अक्षर गायब है। तुलसी दास जी (तुलसीदास को अकबर से हनुमान जी ने कैसे बचाया) ने रामचरितमानस लिखते समय इसका प्रयोग नहीं किया है। इसके पीछे का कारण है इसकी भाषा। अवधि भाषा में लिखते या बोलते समय 'श' अक्षर के बदले 'स' का प्रयोग होता है।
अवधी बोली में सिर्फ 'स' का व्यवहार होता है। जिन शब्दों में 'श' का प्रयोग होता है वहां भी 'स' से ही उसका उच्चारण होता है। इसलिए रामचरितमानस में भी हर वो शब्द जो 'श' से शुरू होता है या जिसमें 'श' आता है, वहां 'स' का उपयोग किया गया है।
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जब तुलसी दास जी ने रामायण लिखना आरंभ किया था तब उन्होंने रामायण के हर एक किस्से का आंकलन किया और उन्होंने अवधी भाषा को इसलिए चुना ताकि संस्कृत में जो लीलाएं लोगों को समझ नहीं आई वो जन भाषा के माध्यम से समझीं जा सके।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर कौन सा अक्षर है जो रामायण से गायब है और क्या है इसके पीछे का कारण। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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