why funeral songs sung when someone dies

Death Ritual: किसी के गुजरने पर क्यों गाए जाते हैं मृत्यु गीत? जानें क्या है कारण

पहले के समय में किसी की रित्यु हो जाने पर घर में मृत्यु गीत गाए जाते थे। आज भी यह प्रथा कई देशों में अलग-अलग ढंग से निभाई जाती है। ऐसे में आइये जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक एवं ज्योतिष तर्क क्या कहता है।
Editorial
Updated:- 2025-04-09, 15:45 IST

पहले के समय में जब भी किसी के घर में किसी की मृत्यु होती थी तो मृत्यु गीत गाए जाते थे। यहां तक कि आज के समय में भी यह प्रथा जारी है और विशेष बात यह है कि ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं होता है बल्कि कई देशों में इस तरह की प्रथा का अनुसरण किया जाता है। हां, वो बात अलग है कि मृत्यु गीत की भाषा और उसे गाने का तरीका अलग हो लेकिन यह प्रथा निभाई जरूर जाती है। जब इस बारे में हमने ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से पूछा तो उन्होंने हमें बताया कि किसी के मरने पर मृत्यु गीत गाने के पीछे कई तर्क मौजूद हैं जो धार्मिक और ज्योतिष आधार रखते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों किसी के मरने पर मृत्यु गीत गाए जाते हैं।

किसी के मरने पर मृत्यु गीत गाने का धार्मिक कारण क्या है?

kisi ke gujarne pr mrityu geet gane se kya hota hai

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब भी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा को लेने यमदूत या यमराज स्वयं पहुंचते हैं। ऐसे में व्यक्ति की आत्मा को यूं तो उसके कर्मों के अनुसार लोक प्राप्त होता है, लेकिन मृत्यु के दौरान अगर मृत्यु गीत गाए जाएं तो इससे मृतक व्यक्ति के पाप घट जाते हैं और उसे यमराज द्वारा शांति पूर्ण लोक प्राप्त होता है। मृतक की आत्मा भटकती नहीं है।

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किसी के मरने पर मृत्यु गीत गाने का ज्योतिष कारण क्या है?

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किसी की मृत्यु के बाद मृत्यु गीत गाने के पीछे का ज्योतिष तर्क कहता है कि आत्मा को शरीर से बहुत लगाव होता है। ऐसे में मृत्यु के बाद भी आत्मा शरीर में घुसने का प्रयास करती है। ऐसे में मृत्यु गीत गाने से यह सुनिश्चित किया जाता है कि आत्मा शरीर से दूर रहे और पुनः लौटकर न आए। इसी कारण से अधिकतर मृत्यु गीत संस्कृत के श्लोक या भजन के रूप में ई गाए जाते थे।

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किसी के मरे पर किन नियमों के साथ मृत्यु गीत गाए जाते हैं?

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने से पहले मृत्यु गीत गाए जाते हैं। इस दौरान घर के लोग एक साथ बैठते हैं और फिर भगवद गीता के श्लोकों को गीत के रूप में गाते हैं या फिर भजन भी गीत के रूप में गाए जा सकते हैं। इस दौरान मृतक की हर वस्तु भी उसके साथ ही गीत गाते-गाते रख दी जाती है।

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