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Kinner Kailash Yatra 2024: क्या होती है किन्नर कैलाश यात्रा? जानें इसका महत्व

किन्नर कैलाश एक पर्वत है जो समुद्र तल से 6050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। असल में इसका नाम किन्नौर कैलाश है लेकिन बाद में इसे किन्नर कैलाश के नाम से जाना जाने लगा।   
Editorial
Updated:- 2024-08-02, 16:04 IST

हिन्दू धर्म और सनातन परंपरा में कई ऐसी धार्मिक यात्राओं का उल्लेख मिलता है कि जिन्हें अगर व्यक्ति अपने जीवन काल में संपन्न कर ले तो उसे मृत्यु के बाद न सिर्फ मोक्ष या भगवान का धाम मिलता है बल्कि उस यात्रा का फल आगे आने वाली कई पीढ़ियों को मिलता ही रहता है। ऐसी ही एक यात्रा है किन्नर कैलाश की जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें किन्नर कैलाश से जुड़ी कई रोचक बातें और कथा बताई। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

कहां है किन्नर कैलाश?

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किन्नर कैलाश एक पर्वत है जो समुद्र तल से 6050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। असल में इसका नाम किन्नौर कैलाश है लेकिन बाद में इसे किन्नर कैलाश के नाम से जाना जाने लगा। किन्नर कैलाश पर्वत एक हिम खंड स्थापित है जो प्राकृतिक है यानी कि इसे किसी ने बनाया नहीं है यह स्वयं प्रकट हुआ है।

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इस हिम खंड को प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में माना जाता है और किन्नर कैलाश यात्रा पूरी करने के बाद भक्त इस शिवलिंग की पूजा करते हैं। किन्नर कैलाश की परिक्रमा भी लगाई जाती है जो बहुत पुण्यकर बताई गई है। यूं तो किन्नर कैलाश हिन्दुओं का तीर्थ स्थल है लेकिन इसे बौद्ध अनुयायी भी मानते हैं। 

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में तिब्बत सीमा के पास किन्नर कैलाश स्थापित है। किन्नर कैलाश की यात्रा मानसरोवर और अमरनाथ की यात्रा से भी कही अधिक कठिन मानी जाती है। यह यात्रा हर साल सावन में शुरू होती है और एक महीने तक चलती है। तकरीबन 2 से 3 दिन में यह यात्रा पूरी हो पाती है। 

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पुराणिका कथा कहती है कि इस स्थान पर भगवान शिव और माता पार्वती का पहली बात मिलन हुआ था यानी कि पहली बात दोनों ने एक दूसरे को इसी जगह पर देखा था और जब शिव-शक्ति का मिलन हुआ था, तब ब्रह्म कमल का पुष्प इस स्थान पर खिल उठा था जिसका तेज पूरे संसार में फ़ैल गया था। 

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आज भी किन्नर कैलाश की यात्रा के दौरान अक्सर ब्रह्म कमल के फूल दिख जाते हैं लेकिन ऐसा भी माना जाता है कि यह फूल सिर्फ उन्हें ही नजर आते हैं जिनका मन पवित्र होता है और भक्ति से भरा हुआ रहता है। मन में ज़रा भी छल-कपट या द्वेष हो तो यह फूल बिलकुल भी नजर नहीं आता है। 

 

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर क्या होती है किन्नर कैलाश यात्रा और क्या है इससे जुड़ा महत्व। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।      

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