भगवान शिव को समर्पित पशुपतिनाथ का यह सोमवार को रखा जाता है। इस व्रत में व्रती भगवान शिव के पशुपति अवतार की पूजा करता है और पांच सोमवार तक इस व्रत को रखा जाता है। अन्य व्रत से इस उपवास का नियम अलग है। इस व्रत के लाभ के बारे में हमने अपने एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक से पुछा है जिसके लिए उन्होंने बताया है कि यदि आप भी सोमवार को पशुपतिनाथ का व्रत रख रहे हैं, तो पूजा के बाद इस पशुपति आष्टक का पाठ जरूर करें, इससे भगवान प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामना को पूर्ण करेंगे।
पशुपति आष्टक
ध्यानम् ।
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम् ।
पद्मासीनं समन्तात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम् ॥
अथ स्तोत्रम् ।
पशुपतिं द्युपतिं धरणीपतिं भुजगलोकपतिं च सतीपतिम् ।
प्रणतभक्तजनार्तिहरं परं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ १॥
न जनको जननी न च सोदरो न तनयो न च भूरिबलं कुलम् ।
अवति कोऽपि न कालवशं गतं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ २॥
मुरजडिण्डिमवाद्यविलक्षणं मधुरपञ्चमनादविशारदम् ।
प्रमथभूतगणैरपि सेवितं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ ३॥
शरणदं सुखदं शरणान्वितं शिव शिवेति शिवेति नतं नृणाम् ।
अभयदं करुणावरुणालयं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ ४॥
नरशिरोरचितं मणिकुण्डलं भुजगहारमुदं वृषभध्वजम् ।
चितिरजोधवलीकृतविग्रहं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ ५॥
मखविनाशकरं शशिशेखरं सततमध्वरभाजिफलप्रदम् ।
प्रलयदग्धसुरासुरमानवं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ ६॥
मदमपास्य चिरं हृदि संस्थितं मरणजन्मजराभयपीडितम् ।
जगदुदीक्ष्य समीपभयाकुलं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ ७॥
हरिविरञ्चिसुराधिपपूजितं यमजनेशधनेशनमस्कृतम् ।
त्रिनयनं भुवनत्रितयाधिपं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ ८॥
पशुपतेरिदमष्टकमद्भुतं विरचितं पृथिवीपतिसूरिणा ।
पठति संशृणुते मनुजः सदा शिवपुरीं वसते लभते मुदम् ॥ ९॥
इति श्रीपशुपत्यष्टकं सम्पूर्णम् ।
पशुपति आष्टक पाठ लाभ
- इस स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। यह व्यक्ति के मन से तनाव और चिंता को दूर करता है।
- पशुपति व्रत और पूजा का पुण्य फल प्राप्त होता है।
- पशुपति आष्टक का पाठ व्यक्ति के नकारात्मक कर्मों और दोषों को दूर करता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है
- पशुपति आष्टक का पाठ भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी माध्यम है।
- पशुपति आष्टक शिव साधकों के लिए अत्यंत लाभकारी है। इससे साधना में एकाग्रता बढ़ती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
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