हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। इस दिन बप्पा की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और पुण्य फलों का वरदान भी मिलता है। बता दें, सावन माह में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान भगवान गणेश के मंत्रों के जाप से भी व्यक्ति से भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं। अब ऐसे में इस साल सावन माह की विनायक चतुर्थी तिथि कब है, शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
सावन विनायक चतुर्थी कब है?
पंचांग के हिसाब से सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 07 अगस्त को देर रात 01 बजकर 05 से आरंभ हो जाएगा और इसका समापन 09 अगस्त को देर रात 12 बजकर 36 मिनट पर होगा। इस दिन चंद्रास्त का समय रात 09 बजकर 27 मिनट पर होगा। इसलिए साधक 08 अगस्त को चतुर्थी व्रत रख सकते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 17 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 26 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 11 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक
चन्द्रोदय- सुबह 09 बजकर 06 मिनट पर
चंद्रास्त- देर रात 09 बजकर 27 मिनट पर
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सावन विनायक चतुर्थी के दिन शुभ योग कब है?
सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर दुर्लभ शिव योग का निर्माण होने जा रहा है। इस योग का समापन दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर हो रहा है। इसके बाद सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही विनायक चतुर्थी पर रवि योग भी बन रहा है। रवि योग देर रात 11 बजकर 34 मिनट तक है। वहीं दुर्लभ भद्रावास का भी संयोग विनायक चतुर्थी के दिन ही बन रहा है।
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सावन विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व क्या है?
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन इस महीने में आने वाली विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन के महीने में विनायक चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष प्राप्त होता है।
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Image Credit- HerZindagi
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