ऋषिकेश उत्तराखंड राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक शहर है। यह हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल और योग एवं ध्यान का केंद्र है। ऋषिकेश को अक्सर "विश्व योग राजधानी" के रूप में जाना जाता है। वहीं बीटल्स ने 1960 के दशक में ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी के साथ ध्यान लगाया था। यह शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। ऋषिकेश का इतिहास पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, यह स्थान भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। ऋषिकेश नाम का अर्थ "ऋषियों का ईश्वर" होता है।
ऋषिकेश में अनेक मंदिर और आश्रम हैं, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में लक्ष्मण झूला, त्रिवेणी घाट, भरत मंदिर और नीलकंठ महादेव मंदिर शामिल हैं। अब ऐसे में इस शहर का नाम ऋषिकेश कैसे पड़ा और इसका संबंध भगवान विष्णु से क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कैसे पड़ा ऋषिकेश का नाम?
ऋषिकेश को हृषिकेश भी कहा जाता है। यह नाम विष्णु को उनकी तपस्या के परिणामस्वरूप रायभाया ऋषि को भगवान हृषिकेश के रूप में प्रकट होने के लिए करता है। पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में भगवान विष्णु ने हयग्रीव के अवतार में मधु और कैटभ नामक राक्षस को परास्त किया था। जब भगवान उनका वध करने के बाद तपस्या करने के लिए जंगल में चले गए, तो उनकी नज़र रभ्य ऋषि पर पड़ी जो ध्यान कर रहे थे। वहीं स्कंद पुराण के अनुसार, संत की साधना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ऋषिकेश नारायण के रूप में प्रकट हुए। ऋषि ने भगवान से वरदान मांगा कि वे यहीं वास करें। भगवान ने सहमति जताई और मूर्ति रूप में वहीं स्थापित हो गए। तब से इस जगह का नाम ऋषिकेश पड़ा। वहीं आठवीं सदी में शंकराचार्य ने शालिग्राम से बने भगवान विष्णु की प्रतिमा को मंदिर में पुनर्स्थापित किया था। साथ ही एक श्रीयंत्र भी रखा था।
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ऋषियों का निवास है ऋषिकेश
ऋषिकेश शब्द के संदर्भ में बात करें, तो यह ऋषिकेश ऋषि यानी कि संत के बाल को भी दर्शाता है। ऋषिकेश पहले तपस्या का केंद्र था। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीराम रावण को मारने के बाद तपस्या के लिए यहां आए थे र उन्होंने पवित्र नदी गंगा को पार किया था। जिसके कारण यहां राम झूला और लक्ष्मण झूला है। माना जाता है कि प्राचीन काल में यहां अनेक ऋषि-मुनि तपस्या और ध्यान के लिए आते थे। इन ऋषियों के कारण ही इस स्थान का नाम ऋषिकेश पड़ा।
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