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Pitru Paksha Sradh Date & Time 2024: आज से पितृपक्ष शुरू, जानें श्राद्ध की तिथियां और महत्व

ब्रह्म पुराण में पितरों के तर्पण करने के बारे में विस्तार से बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि विधि-विधान के साथ पितरों के निमित्त तर्पण करने से जातक को पितृ ऋण से छुटकारा मिल जाता है। आइए इस लेख में जानते हैं कि इस साल पितृपक्ष कब है, शुभ मुहर्त क्या है?
Editorial
Updated:- 2024-09-18, 13:05 IST

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से अमावस्या तक के समय को पितृपक्ष कहते हैं। इस दौरान पितरों का स्मरण करना, उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करना और तर्पण करने की मान्यता है। इस समय सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। इस समय पितरों को तृप्त और उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में पितृदोष है, तो पितृपक्ष का समय इस दोष से छुटकारा पाने के लिए शुभ फलदायी माना जाता है। अब ऐसे में इस साल पितृपक्ष कब है, श्राद्ध की तिथि कब है, श्राद्ध का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं। 

पितृपक्ष कब से है शुरु? 

 pitru paksha cover

पितृपक्ष का आरंभ 17 सितंबर से होने जा रहा है और इसका समापन 02 अक्टूबर को होगा। 

पितृपक्ष में श्राद्ध की तिथियां कब है? 

  • प्रतिपदा का श्राद्ध - 18 सितंबर
  • द्वितीया का श्राद्ध - 19 सितंबर  
  • तृतीया का श्राद्ध - 20  सितंबर  
  • चतुर्थी का श्राद्ध - 21 सितंबर  
  • महा भरणी - 21 सितंबर
  • पंचमी का श्राद्ध - 22 सितंबर 
  • षष्ठी का श्राद्ध - 23 सितंबर 
  • सप्तमी का श्राद्ध - 23 सितंबर
  • अष्टमी का श्राद्ध - 24 सितंबर

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  • नवमी का श्राद्ध - 25 सितंबर
  • दशमी का श्राद्ध - 26 सितंबर
  • एकादशी का श्राद्ध - 27 सितंबर
  • द्वादशी का श्राद्ध - 29 सितंबर
  • मघा श्राद्ध - 29 सितंबर
  • त्रयोदशी का श्राद्ध - 30 सितंबर
  • चतुर्दशी का श्राद्ध - 1 अक्टूबर
  • सर्वपितृ अमावस्या - 2 अक्टूबर

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पितृपक्ष में श्राद्ध करने का महत्व क्या है? 

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श्राद्ध कर्म करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाते हैं। माना जाता है कि पितरों का आशीर्वाद जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता लाता है। यदि किसी कारणवश पितरों का श्राद्ध नहीं किया जाता है, तो पितृ दोष लग सकता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि बीमारी, आर्थिक समस्याएं, पारिवारिक कलह आदि। श्राद्ध कर्म करने से पितृ दोष का निवारण होता है। आपको बता दें, पितृपक्ष में विशेष पूजा, हवन, तर्पण, और ब्राह्मणों को भोजन करवाने की परंपरा है। इन अनुष्ठानों के माध्यम से आत्मा की शांति की कामना की जाती है।

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Image Credit- HerZindagi

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