Lohri Kab Hai 2025: इस साल कब मनाया जाएगा का लोहड़ी का पर्व, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

लोहड़ी का त्योहार सिखों के लिए एक खास पर्व है। यह पर्व न सिर्फ खुशी और उल्लास का प्रतीक है, बल्कि यह किसानों के जीवन से भी जुड़ा हुआ है। आइए इस लेख में जानते हैं कि लोहड़ी का पर्व कब मनाया जाएगा।
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लोहड़ी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, विशेषकर हरियाणा और पंजाब में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार नई फसल की खुशी में मनाया जाता है और अग्नि देव की पूजा का दिन होता है। इस दिन किसान भगवान का आभार व्यक्त करते हैं ताकि उनकी फसल अच्छी हो। मान्यता है कि अग्नि देव की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। आपको बता दें, लोहड़ी की रात को अग्नि जलाकर उसमें तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, खील और मक्की के दानों की आहुति दी जाती है। लोग लोहड़ी की परिक्रमा करते हैं और गीत गाते हैं। अब ऐसे में इस साल लोहड़ी का पर्व कब मनाया जाएगा और लोहड़ी का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

लोहड़ कब मनाई जाएगी?

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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। इसी क्रम में, वर्ष 2025 में भी लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। इसके अगले दिन, 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 44 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिसके साथ ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।

लोहड़ी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

वैदिक पंचांग के हिसाब से लोहड़ी के दिन भद्रावास और रवियोग बन रहा है। वहीं भद्रावास योग शाम 04 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। ऐसी मान्यता है कि इस योग में अग्निदेव की पूजा विधिवत रूप से कर लेनी चाहिए। इतना ही नहीं, इस दिन अद्रा और पुनर्वसु नक्षत्र भी बन रहा है।

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लोहड़ी के दिन पूजा का महत्व क्या है?

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लोहड़ी के दिन सबसे पहले अग्नि देव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अग्नि देव हमारी रक्षा करते हैं और घर में सुख-शांति लाते हैं। लोहड़ी के दिन नई फसल का स्वागत किया जाता है। अग्नि में नई फसल के दाने डालकर भगवान से अच्छी फसल की कामना की जाती है। लोहड़ी की अग्नि को बुरी नजर से बचाने का प्रतीक माना जाता है। लोग अग्नि के चारों ओर परिक्रमा लगाते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। हड़ी के दिन लोग सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। अग्नि में घी, तिल, गुड़ आदि डालकर भगवान को प्रसन्न किया जाता है।

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Image Credit- HerZindagi

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