हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। जब यह विशेष व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान और मंगल ग्रह को समर्पित है, इसलिए इस दिन प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी और मंगल ग्रह की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भौम प्रदोष व्रत को कर्ज मुक्ति, शत्रुओं पर विजय और भूमि संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी है जो लंबे समय से कर्ज से परेशान हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को कर्ज से छुटकारा मिलता है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में भी सहायक होता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर व्यक्ति को बल और साहस प्रदान करता है, जिससे वह अपने विरोधियों पर भारी पड़ सके।आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जुलाई महीने में भौम प्रदोष व्रत आज
भौम प्रदोष व्रत तब होता है जब त्रयोदशी तिथि मंगलवार को पड़ती है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है। इस व्रत को ऋणमोचन के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
त्रयोदशी तिथि का आरंभ- 22 जुलाई 2025, सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर
त्रयोदशी तिथि का समापन- 23 जुलाई 2025, सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर
जुलाई महीने में भौम प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त
जुलाई महीने में दूसरे प्रदोष को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। अब ऐसे में अगर आप इस दिन भोलेनाथ की पूजा कर रहे हैं तो प्रदोष काल में ही करना शुभ माना जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 07 बजकर 18 मिनट से रात 09 बजकर 22 मिनट तक है।
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जुलाई महीने में भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। जब यह त्रयोदशी तिथि मंगलवार के दिन पड़ती है, तो उसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। भौम शब्द मंगल ग्रह से संबंधित है, और माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति मिलती है। जो लोग लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। भौम प्रदोष व्रत आरोग्य प्रदान करने वाला भी माना जाता है। जो लोग किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या बार-बार अस्वस्थ रहते हैं, उन्हें यह व्रत करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। भगवान शिव की कृपा से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।
भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को लगाएं इन चीजों का भोग
भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त उन्हें कई चीज़ों का भोग लगाते हैं। इस दिन भगवान शिव को गुड़ से बनी चीज़ें अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह व्रत मंगलवार को पड़ता है और मंगल ग्रह का संबंध गुड़ से माना जाता है। आप उन्हें गुड़ और चावल से बनी खीर, गुड़ के पुए, या सिर्फ़ गुड़ का भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा, बेलपत्र, धतूरा, भांग, दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल जैसी चीजें भी उन्हें अर्पित की जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इन चीज़ों का भोग लगाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
भौम प्रदोष व्रत के दिन करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ नमः शिवाय:
- "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्:
- करपूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि॥
- ॐ ह्रीं क्लीं शिवाय नमः
- नमो नीलकण्ठाय:
भौम प्रदोष व्रत के दिन जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त
भौम प्रदोष व्रत के दिन जलाभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में होता है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है। 22 जुलाई 2025 को पड़ रहे भौम प्रदोष व्रत के लिए जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 22 मिनट तक। इस दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक, दूध, पंचामृत और बेलपत्र आदि से पूजन करना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है, जिससे सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
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Image Credit- HerZindagi
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