hanuman jayanti 2025: चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। यही कारण है कि हर साल इस दिन बजरंग बली के जन्म के दिन को हनुमान जयंती के तौर पर बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल 2025 में हनुमान जन्मोत्सव एक अत्यंत विशेष संयोग के साथ आया है। यह पावन तिथि शनिवार के दिन पड़ी है। यह संयोग शनि दोष से मुक्ति के लिए दुर्लभ और शक्तिशाली अवसर माना जाता है। शनिदेव और बजरंगबली हनुमान जी के बीच एक गहरा संबंध है, जहां शनिदेव बाधाएं देते हैं, वहीं हनुमान जी अपने भक्तों को उन बाधाओं से रक्षा प्रदान करते हैं। आइए जानें, शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के प्रभाव कम करने के लिए हनुमान जयंती पर कौन-से उपाय करने चाहिए?
शनि के मीन राशि में गोचर के चलते 2025 में साढ़ेसाती का प्रभाव कुंभ, मीन और मेष राशि पर रहेगा, जबकि ढैय्या कर्क और वृश्चिक राशि को प्रभावित करेगी। कुंभ राशि अपने साढ़ेसाती के अंतिम चरण में प्रवेश करेगी, मीन राशि पर इसका पहला चरण शुरू होगा और मेष पर भी इसका प्रभाव आरंभ होगा। कर्क और वृश्चिक राशि के लोगों को ढैय्या की स्थिति से गुजरना पड़ेगा। इन अवस्थाओं में पारिवारिक उलझनें, जिम्मेदारियों का भार, मानसिक तनाव और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं सामान्य रूप से देखी जाती हैं।
अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज हमारे एस्ट्रोलॉजर सिद्धार्थ एस कुमार आपको कुछ ऐसे विशेष उपायों के बारे में बता रहे हैं,जो हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर करने से आपको काफी लाभ होगा।
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शनिवार के दिन हनुमान जी को 108 लौंग की माला चढ़ाएं। इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और शक्ति व साहस की प्राप्ति होती है।
शनिवार के दिन सुबह स्नान करके शुद्ध मन से हनुमान चालीसा का 27 या 108 बार पाठ करें। सुंदरकांड का पाठ भी विशेष रूप से शुभ माना गया है।
आप हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही, हनुमान जी को चमेली का तेल और सिंदूर अर्पित करें।
आपको सेवा और दान ऐसे वृद्धाश्रम में करना चाहिए, जहां दिव्यांग या विशेष रूप से असक्षम बुजुर्ग निवास करते हों। यह शनिदेव को प्रसन्न करता है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, शनिवार को जरूरतमंदों को काले तिल, काली उड़द, लोहे की वस्तुएं और काले वस्त्र का दान करें।
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शनिवार के दिन पड़ने वाला हनुमान जन्मोत्सव ऐसे लोगों के लिए वरदान है, जो शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से गुजर रहे हैं। इन उपायों को श्रद्धा, भक्ति और विधिपूर्वक करने से शनि दोष कम होता है और जीवन में स्थिरता, ऊर्जा और संतुलन की प्राप्ति होती है। यह दिन न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए, बल्कि व्यावहारिक जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।
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