सुंदरकांड पढ़ने का सही समय क्या है?

सुंदरकांड का पाठ विधि-विधान से करने से घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि इसके पाठ एक लिए कुछ विशेष नियम हैं जिनका पालन जरूरी है। 

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हिन्दू धर्म में रामायण के किसी भी अध्याय का पाठ बहुत फलदायी माना जाता है। मुख्य रूप से जब हम सुंदरकांड की बात करते हैं तो यह मुख्य रूप से हनुमान जी की महिमा को दिखाता है। सुंदरकांड, हिंदू महाकाव्य रामायण का एक महत्वपूर्ण खंड है जो भगवान हनुमान के भक्तों के लिए अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है।

कई लोग ऐसा मानते हैं कि सुंदरकांड को पढ़ने या सुनने से जीवन में आशीर्वाद, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा बनी रह सकती है। ज्योतिष परंपरा में ऐसा माना जाता है कि किसी भी धार्मिक पाठ के लिए एक निश्चित समय अवधि और शुभ समय का होना जरूरी होता है, वहीं मान्यता यह भी है कि यदि आप इस समय का पालन नहीं करते हैं तो इसके पूर्ण परिणाम नहीं मिलते हैं।

ऐसे ही सुंदर कांड का पाठ करने के लिए भी कुछ विशेष नियमों का पालन जरूरी माना जाता है और इसे विशेष समय पर करने की सलाह दी जाती है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया से जानें कि आपको सुंदरकांड का पाठ किन विशेष दिनों में और किस समय करना चाहिए, जिससे इसके शुभ फल मिलें।

सुंदरकांड के पाठ का महत्व

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सुंदरकांड एक साहित्यिक और भक्तिपूर्ण कृति है जो मुख्य रूप से भगवान श्री राम की पत्नी सीता की खोज में भगवान हनुमान की लंका की वीरतापूर्ण यात्रा का वर्णन करती है।

भक्तजन न केवल इसकी साहित्यिक सुंदरता के लिए बल्कि इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली गहन आध्यात्मिक शिक्षाओं के लिए भी सुंदरकांड का पाठ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि रामायण के इस भाग को पढ़ने से भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो अपनी अटूट भक्ति, शक्ति और धार्मिकता के प्रति प्रतिबद्धता के लिए पूजनीय हैं।

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सुंदरकांड का पाठ करने के लिए समय का महत्व

हिंदू संस्कृति का एक अभिन्न अंग ज्योतिष को माना जाता है। ज्योतिष में मान्यता है कि सुंदरकांड को किसी भी समय भक्ति के साथ पढ़ा जा सकता है। हालांकि ज्योतिषीय विचारों के आधार पर आध्यात्मिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए कुछ विशिष्ट अवधि और दिन माने जाते हैं। आइए आपको बताते हैं उन विशेष दिनों के बारे में जब सुंदरकांड पढ़ने के विशेष फल मिलते हैं और इसका पूर्ण लाभ भक्तों को मिलता है।

सुंदरकांड का पाठ किस दिन करना चाहिए?

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ज्योतिष के अनुसार हनुमान जी की पूजा के लिए मंगलवार और शनिवार के दिन को विशेष माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित है और इसी वजह से भक्तों को इस दिन हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करने की सलाह दी जाती है। भक्त इस दिन हनुमान जी की पूजा अनुष्ठान में संलग्न होते हैं और इस दिन हनुमान जी को चोला चढाने का भी विधान है।

मान्यता है कि घर की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ जरूर करना चाहिए। वहीं शनिवार का दिन शनि ग्रह से जुड़ा होता है और माना जाता है कि हनुमान और शनि की संयुक्त ऊर्जा शक्ति, अनुशासन और सुरक्षा प्रदान करती है। इसी वजह से इन दिनों में सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान की दिव्य कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

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सुंदरकांड पढ़ने का सही समय

ज्योतिष में मान्यता है कि यदि आप घर में सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं तो इसे प्रातः शुरू करें और दोपहर 12 बजे से पहले समाप्त कर दें। यदि आप इसे शाम के समय कर रहे हैं तो 4 बजे के बाद आरंभ करें।

शाम को, विशेष रूप से सूर्यास्त के आस-पास का समय भक्ति अनुष्ठानों में संलग्न होने के लिए आध्यात्मिक रूप से उत्साहित समय माना जाता है, इसलिए सुंदरकांड भी गोधूलि बेला में करना सबसे शुभ होगा। इस दौरान सुंदरकांड का पाठ भगवान हनुमान की उपस्थिति का आह्वान करने और आध्यात्मिक चिंतन के लिए एक शांत और केंद्रित वातावरण बनाने में विशेष रूप से प्रभावी होता है।

सुंदरकांड का पाठ करने के लिए शुभ तिथियां

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सुंदरकांड का पाठ करने के लिए पूर्णिमा का दिन सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय चंद्रमा की ऊर्जा अपने चरम पर होती है, जो किसी भी भक्ति गतिविधि के आध्यात्मिक स्पंदनों को बढ़ाती है।

इसके साथ ही एकादशी और अमावस्या तिथि में भी सुंदरकांड का पाठ करना बहुत शुभ माना होता है। यदि आप सुंदरकांड पाठ एक लिए ये तिथियां चुनते हैं तो आपको इसके सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं। इसके साथ ही, हनुमान जयंती जिसे भगवान हनुमान के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, इस दिन भी सुंदरकांड का पाठ फलदायी माना जाता है।

अगर आप इन विशेष दिन, तिथियों और शुभ समय में सुंदरकांड का पाठ करती हैं तो आपके जीवन के लिए बहुत शुभ फलदायी हो सकता है। सही समय पर सुंदरकांड का पाठ करने से इसके पूर्ण फल मिलते हैं और ये आपके घर में समृद्धि का कारण बनता है।

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