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Vijaya Dashami Vs Dussehra: दशहरा और विजयदशमी के बीच ये है अंतर, आप भी जानें

Difference Between Vijaya Dashami And Dussehra:&nbsp;दशहरा और विजयदशमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहार में से एक है, यह दोनों ही पर्व एक दिन मनाए जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको इन दोनों पर्वों के अंतर के बारे में बताएंगे। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-10-23, 15:33 IST

हर साल नवरात्रि के नव दिन के पर्व के बाद 10 वें दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। देश भर में विजयदशमी और दशहरा को लेकर बेहद उत्साह का माहोल रहता है। रावण दहन के साथ गांव शहर में मेला का भी आयोजन होता है। पूजा-पाठ के नजर में इस पर्व का महत्व तो है ही साथ ही, सांस्कृतिक दृष्टि से भी इस दशहरा का विशेष महत्व है।

इस साल 24 अक्टूबर को पूरे देश में धूमधाम से दशहरा या विजयादशमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। बहुत से लोगों को यह लगता है कि विजयदशमी और दशहरा एक ही है। भले ही यह त्योहार एक ही तिथि को मनाया जाता है, लेकिन इन दोनों त्योहारों के बीच खास अंतर है जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।

दशहरा और विजयदशमी में अंतर (Difference Between Vijaya Dashami And Dussehra)

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  • दशहरा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है, इस पर्व को अश्विन या क्वार मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
  • इस दिन भगवान राम ने दशानन रावण का वध किया था इसलिए इसे दशहरा कहा जाता है।
  • इसके अलावा इस दिन देवी दुर्गा ने नवरात्रि के नव दिन के युद्ध के बाद दसवें दिन महिषासुर का वध किया था इसलिए इसे विजयादशमी कहा जाता है।
  • विजय दशमी को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में भी मनाया जाता है।
  • पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम ने नौ दिनों तक आदिशक्ति देवी दुर्गा की आराधना (आदिशक्ति देवी दुर्गा की आराधना कैसे करें) कर दशमी के दिन रावण का वध किया था। इस लिए इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई के ऊपर जीत के रूप में दशहरा मनाया जाता है।

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  • दशहरा में रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाकर बुराई पर अच्छाई के जीत के उत्साह को दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
  • दशहरा और विजयदशमी को भले ही राम के विजय की खुशी में मनाया जाता है, लेकिन दोनों ही रूपों में मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
  • दशहरा में घर के सभी पुरुष रावण दहन करने जाते हैं और उनके लौटने की खुशी में घरों को दीप से सजाया जाता है।
  • रावण दहन कर जब घर के पुरुष लौटते हैं तो उन्हें लकड़ी के पाटे में खड़ा कर घी के दीप से उनकी आरती की जाती है और दही एवं चावल से तिलक की जाती है।
  • ग्रह शांत हो इसलिए सभी को चावल देकर दसों दिशाओं में छिड़कने के लिए कहा जाता है।
  • वहीं विजयदशमी के दिन दुर्गा जी की मूर्ति और कलश, जोत एवं ज्वार को नदी एवं तालाबों में विसर्जित किया जाता है।

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