सनातन धर्म में अप्रैल माह में प्रदोष व्रत को वैशाख प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दि भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी जातक को किसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है या फिर ग्रहदोष संबंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकता है। आपको बता दें, अप्रैल माह का दूसरा प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन जो भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रहे हैं, भोलेनाथ को कुछ ऐसे खास पत्ते हैं, जिसे चढ़ाने से भाग्योदय हो सकता है और व्यक्ति की मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, बेल का वृक्ष स्वयं भगवान शिव का ही स्वरूप है। इसकी जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तियों में स्वयं शिव का वास माना जाता है। आपको बता दें, बेलपत्र के तीन पत्तों का अलग-अलग हिस्सा जो त्रिनेत्रधारी भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक है। यह सत, रज और तम तीनों गुणों का भी प्रतिनिधित्व करता है। ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। बेलपत्र अहंकार और मनुष्य के तीन दोषों जैसे कि तमस, राजस और सात्विक का प्रतीक है। इसलिए अगर आपकी कोई मनोकामना है तो आप अपनी इच्छा कहें और फिर शिव जी को चढ़ाएं। इससे लाभ हो सकता है।
धतूरा भगवान शिव को प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था, तो भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया था। विष की गर्मी को शांत करने के लिए देवताओं ने उन्हें भांग, धतूरा और बेल पत्र अर्पित किए थे। इसलिए, भगवान शिव को धतूरा चढ़ाना उनकी कृपा प्राप्त करने का सबसे आसान उपाय है। इसलिए प्रदोष व्रत के दिन शिव जी को धतूरे का पत्ता चढ़ाएं।
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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को शमी का पत्ता चढ़ाने से सभी बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है और व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है। इसलिए अगर आप इस दिन शिव जी की पूजा कर रहे हैं तो शमी का पत्ता चढ़ाने का दौरान शिव जी के मंत्रों का जाप करें। इससे लाभ हो सकता है।
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Image Credit- HerZindagi
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