April Pradosh Vrat 2025: अप्रैल महीने के प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा किस विधि से करें, जानें सही नियम

अप्रैल माह में प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। इतना ही नहीं, इस दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है। आइए इस लेख में बेलपत्र की पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं। 
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प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा और भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने का विशेष महत्व है। बिना बेलपत्र के भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसा कहा है कि भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। साथ ही व्यक्ति का भाग्योदय भी हो सकता है। इतना ही नहीं, अगर आपकी कुंडली में कोई ग्रहदोष है तो बेलपत्र की पूजा करने से शुभ परिणाम मिल सकते हैं। अब ऐसे में आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से बेलपत्र के पेड़ की पूजा विधि और नियम के बारे में जानते हैं।

प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा किस विधि से करें?

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  • प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और बेलपत्र के पेड़ के नीचे भी सफाई करें।
  • पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे - जल का कलश, चंदन, रोली, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य और बेलपत्र लाएं।
  • बेलपत्र के पेड़ के सामने पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें और उन्हें प्रणाम करें।
  • बेलपत्र के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें।
  • पेड़ के तने पर चंदन या रोली से तिलक लगाएं।
  • पेड़ की पूजा करने के दौरान चावल और फूल अर्पित करें।
  • भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे "ओम नमः शिवाय" या "महामृत्युंजय मंत्र"।
  • आप शिव चालीसा या प्रदोष व्रत कथा का पाठ भी कर सकते हैं।
  • अंत में, बेलपत्र के पेड़ की परिक्रमा करें।
  • उसके बाद बेलपत्र के पेड़ की आरती करें।

प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा के नियम

  • प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। इसे एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
  • बेलपत्र की पूजा करने के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए।
  • प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा करने के बाद भगवान शिव की पूजा भी जरूर करनी चाहिए।
  • इस दिन कोशिश करें कि व्रत जरूर रखना चाहिए। साथ ही परिक्रमा जरूर लगानी चाहिए।
  • बेलपत्र के पत्तों को प्रदोष व्रत के दिन तोड़ने से बचें।

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प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र की पूजा का महत्व

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प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है और जीवन में कभी भी किसी तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि बेलपत्र के पेड़ की पूजा करने से भाग्योदय हो सकता है।

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ

  • प्रदोष व्रत की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?

    इस दिन शाम सूर्यास्त होने 45 मिनट पहले से लेकर 45 मिनट बाद पूजा का समय रहता है। इसके अलावा, सूर्यास्त से लेकर रात 8 बजे तक कर सकते हैं।