April Pradosh Vrat 2025: अप्रैल महीने के प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें इस स्तोत्र का जाप, दुख और दरिद्रता से मिल सकता है छुटकारा

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। अब ऐसे में इस दिन पूजा करने के साथ-साथ स्तोत्र का जाप विशेष रूप से करने से लाभ हो सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी जातक के जीवन में कोई परेशानी आ रही है तो प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने से लाभ हो सकता है। अब ऐसे में आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से लिंगाष्टकम स्तोत्र का जाप करने के बारे में जानते हैं।

प्रदोष व्रत के दिन करें लिंगाष्टकम स्तोत्र का जाप

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प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ विधिवत रूप से करने से लाभ हो सकता है। इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करें।
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिंगं निर्मलभासितशोभित लिंगम् ।जन्मजदुःखविनाशकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥१॥
देवमुनिप्रवरार्चितलिंगं कामदहं करुणाकरलिंगम् ।रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥२॥
सर्वसुगंधिसुलेपितलिंगं बुद्धिविवर्धनकारणलिंगम् ।सिद्धसुरासुरवंदितलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥३॥
कनकमहामणिभूषितलिंगं फणिपतिवेष्टितशोभितलिंगम् ।दक्षसुयज्ञविनाशनलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥४॥
कुंकुमचंदनलेपितलिंगं पंकजहारसुशोभितलिंगम् ।संचितपापविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥५॥
देवगाणार्चितसेवितलिंगं भावैर्भक्तिभिरेव च लिंगम् ।दिनकरकोटिप्रभाकरलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥६॥
अष्टदलोपरिवेष्ठित लिंगं सर्वसमुद्भवकारणलिंगम् ।अष्टदरिद्रविनाशनलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥७॥
सुरगुरुसुरवरपूजितलिंगं सुरवनपुष्पसदार्चितलिंगम् ।परात्परं परमात्मकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥८॥
लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥९॥
इति श्रीलिंगाष्टकस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

प्रदोष व्रत के दिन लिंगाष्टकम स्तोत्र का जाप करने का महत्व

इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से शांति, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह नकारात्मक ऊर्जा और बुरे विचारों को दूर रखने में मदद करता है। आपको बता दें, लिंगाष्टकम का पाठ सांसारिक दुखों से मुक्ति करने में मदद करते हैं और व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो सकती है और उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।

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लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ करने के नियम

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  • लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ आप किसी भी समय कर सकते हैं।
  • हालांकि, सुबह और शाम का समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • आप इस स्तोत्र का पाठ प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है।
  • शिवलिंग के सामने या भगवान शिव की प्रतिमा के सामने बैठें।
  • शांत मन से भक्तिभावपूर्वक स्तोत्र का पाठ करें।
  • यदि संभव हो तो लिंगाष्टकम स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करें।
  • नियमित पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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