हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 अप्रैल, 2025 को सुबह 11:44 बजे शुरू होगी और 26 अप्रैल, 2025 को सुबह 08:27 बजे समाप्त होगी। लेकिन प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि के प्रदोष काल यानी कि सूर्यास्त के बाद का में किया जाता है, इसलिए दूसरा प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को ही मनाया जाएगा। इस दिन शुक्रवार होने के कारण, इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।
त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में उनकी पूजा करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं अब ऐसे में इस दिन उत्तम फलों की प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए और क्या करने से बचना चाहिए। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
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