when we should perfom rudrabhishek in sawan

क्या रात के समय किया जा सकता है रुद्राभिषेक?

सावन में शिव जी के पूजन के साथ कई अन्य अनुष्ठान भी किये जाते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कोई भी पूजन श्रद्धा से करने से सदैव खुशहाली बनी रहती है और शिव जी का आशीर्वाद मिलता है। 
Editorial
Updated:- 2024-08-05, 17:31 IST

सावन का महीना शिव पूजन के लिए विशेष माना जाता है और इस दौरान शिव पूजन करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस दौरान लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और रुद्राभिषेक का आयोजन करते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दौरान रुद्राभिषेक करता है उसे कई पापों से मुक्ति मिलती है।

यह रुद्राभिषेक हिंदू ज्योतिष और आध्यात्मिक अभ्यास में एक अत्यधिक प्रतिष्ठित अनुष्ठान माना जाता है, जिसमें विस्तृत प्रसाद की तैयारी करने के साथ शिवलिंग का जलाभिषेक अविरल धारा के साथ किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि यह अनुष्ठान आपके जीवन में अपार आशीर्वाद लाता है, नकारात्मकता को दूर करता है और समृद्धि प्रदान करता है। आमतौर पर रुद्राभिषेक सूर्योदय से लेकर मध्याह्न तक किया जाता है। लेकिन एक सवाल यह उठता है कि क्या सूर्यास्त के बाद भी यह अनुष्ठान कर सकते हैं? आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके बारे में विस्तार से। 

क्या होता है रुद्राभिषेक 

rudrabhishek rules

रुद्राभिषेक भगवान शिव के सम्मान में किया जाने वाला एक अनुष्ठान है। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र अनुष्ठान से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। इसमें श्रृंगी से शिवलिंग पर अटूट धारा से जल चढ़ाया जाता है।

ऐसा मन जाता है कि भगवान शिव सबसे ज्यादा प्रसन्न तभी होते हैं जब उनका जलाभिषेक किया जाता है। यही नहीं इस अनुष्ठान के दौरान भगवान शिव की मूर्ति को जल, दूध, शहद और घी जैसे पवित्र पदार्थों से स्नान कराया जाता है, साथ ही मंत्रों का जाप किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह अभ्यास भक्त की आत्मा को शुद्ध करता है, जीवन की बाधाओं को दूर करता है और शांति और समृद्धि बनाए रखता है।

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रुद्राभिषेक करने का सबसे अच्छा समय 

मान्यता है कि रुद्राभिषेक हमेशा एक निश्चित समय और मुहूर्त के अनुसार ही करना चाहिए जिससे इसके सुबह फल मिलें। किसी भी अन्य पूजा की ही तरह रुद्राभिषेक के लिए भी सबसे अच्छा समय प्रातः काल का माना जाता है।

यदि हम ब्रह्म मुहूर्त में रुद्राभिषेककरते हैं तो ये और भी ज्यादा फलदायी माना जाता है। सावन में यह कुछ विशेष दिनों में करना सबसे ज्यादा शुभ होता है। सावन में किसी भी सोमवार, हरियाली तीज, हरियाली अमावस्या, नाग पंचमी या फिर पूर्णिमा तिथि को किया गया रुद्राभिषेक सबसे ज्यादा शुभ होता है।  

क्या सूर्यास्त के बाद भी किया जा सकता है रुद्राभिषेक 

best time to perform rudrabhishek

अगर हम ज्योतिष की मानें तो रुद्राभिषेक का सबसे शुभ मुहूर्त प्रातः काल का ही माना जाता है, लेकिन सूर्यास्त के बाद भी इसे करने की मनाही नहीं है। आप अपनी सुविधानुसार इसे सुबह या शाम किसी भी समय पर कर सकते हैं।

कई बार ऐसा भी होता है कि इस अनुष्ठान का आरंभ दिन के समय होता है और ये समाप्त सूर्यास्त के बाद होता है। आप यदि सूर्यास्त के बाद या रात के समय रुद्राभिषेक कर रहे हैं तो आपको किसी पंडित से रात्रि के शुभ मुहूर्त की जानकारी जरूर लेनी चाहिए।

कुछ लोग इस अनुष्ठान के लिए ब्रह्म मुहूर्त का पालन करते हैं, लेकिन यदि आप इसे सूर्यास्त के बाद करते हैं तब भी इसके पूर्ण फल मिलते हैं। भगवान शिव की पूजा आप किसी भी समय करें पूरी श्रद्धा से करें तो उन्हें स्वीकार होती है। 

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भगवान शिव की पूजा किसी भी समय की जा सकती है 

 when to do rudrabhishek

मान्यता है कि आप दिन के किसी भी पहर या रात्रि के समय, शिव पूजन करते हैं तो वो पूर्ण रूप से स्वीकार्य होता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आपके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है तो भगवान शिव की पूजा का कोई निश्चित समय नहीं है।

महादेव की पूजा के लिए हर समय सर्वोत्तम है। कई मंदिरों में शिव पूजन चारों पहर में किया जाता है, जिसमें प्रदोष काल का अभिषेक भी शामिल है। लेकिन यदि संभव है तो आप इसे प्रातः काल ही करें क्योंकि इस समय शरीर में सबसे अधिक ऊर्जा होती है और इस ऊर्जा में यदि रुद्राभिषेक की ऊर्जा भी शामिल हो जाती है इसके कई गुना लाभ बढ़ जाते हैं। इस समय वातावरण भी शांत होता है, इसलिए यह ज्यादा शुभ समय माना जाता है। 

सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने के लिए उचित समय के चुनाव के साथ भक्त की भावनाएं भी निर्भर करती हैं। यदि यह अनुष्ठान श्रद्धा भाव से किया जाता है तो इसके पूरे फल मिलते हैं। 

 

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