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Navratri Vrat Katha 2025: नवरात्रि के दूसरे दिन व्रत में सुनें मां ब्रह्मचारिणी की कथा, दूर होंगे जीवन के सभी दुख

2nd Day of Navratri Vrat Katha 2025: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी को तप, त्याग और संयम की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। दूसरे दिन आप भी इसकी कथा को जरूर पढ़ें। तभी आपका व्रत पूरा माना जाएगा।
Editorial
Updated:- 2025-09-23, 05:13 IST

नवरात्रि का हर दिन खास होता है। इसलिए इन दिनों में माता के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा होती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। मां ब्रह्मचारिणी जिन्हें तप, त्याग, संयम और साधना का प्रतीक माना जाता है। भक्त अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाने के लिए इनकी पूजा विधि-विधान से कर सकते हैं। इस दिन व्रत रखकर मां ब्रह्मचारिणी की कथा सुनना और उनका ध्यान करना विशेष फलदायी माना गया है। इसलिए आपको कथा को जरूर करना चाहिए। आइए आर्टिकल में पूरी कथा बताते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी पौराणिक कथा  

पौराणिक कथा के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी पिछले जन्म में पर्वतराज हिमालय की पुत्री सती के रूप में जन्म लिया। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की। कथा के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने हजारों वर्षों तक घोर तप कर केवल बेलपत्र, पुष्प और फल का सेवन किया। कुछ समय बाद उन्होंने आहार त्यागकर केवल कंद-मूल और पत्तों पर अपना पूरा जीवनयापन किया। वर्षों तक कठोर व्रत और उपवास करने के बाद भी वे अडिग रहीं और अंतः में उन्होंने कई वर्षों तक केवल जल ग्रहण करके अपने तप को जारी रखा।

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जब फिर भी भगवा शिव नहीं मिले तो उन्होंने आहार और जल का त्याग पूरी तरह से कर दिया और  भगवान शिव को पाने की साधना पूरी निष्ठा से की। इस कठिन तपस्या से उनका शरीर कमजोर हो गया, किंतु उनके मनोबल में कमी नहीं आई। उनके अद्भुत संयम और दृढ़ निश्चय को देखकर देवता और ऋषि-मुनि भी आश्चर्यचकित रह गए। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान ब्रह्मा प्रकट हुए और कहा- हे देवी! आपके इस कठोर तप और अटूट भक्ति से प्रसन्न होकर मैं आपको आशीर्वाद देता हूं कि आप भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करेंगी।

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इसके बाद भगवान शंकर ने भी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी अर्धांगिनी रूप में स्वीकार किया। इस प्रकार मां ब्रह्मचारिणी को तपस्या और साधना का स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि का दूसरा दिन साधना और तपस्या के प्रतीक मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी की कथा हमें सिखाती है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी संयम, धैर्य और आस्था बनाए रखने से असंभव को भी संभव किया जा सकता है। व्रत और कथा के साथ मां की आराधना करने से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि, आत्मबल और आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।

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