maa brahmacharini puja vidhi

Navratri Puja Vidhi 2025: नवरात्रि के दूसरे दिन इन सामग्रियों के बिना अधूरी है मां ब्रह्मचारिणी की आराधना, जानें संपूर्ण पूजा विधि और मंत्र

2nd Day of Navratri Puja Vidhi 2025: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी आराधना से व्यक्ति को तपस्या करने की शक्ति और धैर्य मिलता है। उनकी कृपा से मन शांत और एकाग्र होता है जिससे पढ़ाई-लिखाई और करियर में सफलता मिलती है।
Editorial
Updated:- 2025-09-23, 05:31 IST

मां ब्रह्मचारिणी, देवी दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं जिनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। उनका स्वरूप बहुत ही शांत, सौम्य और तपस्या से परिपूर्ण है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं जो शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। उनके दाहिने हाथ में जाप की माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। माला ज्ञान और ध्यान का प्रतीक है जबकि कमंडल जीवन और तपस्या के सार को दर्शाता है। उनका यह रूप हमें यह सिखाता है कि जीवन में सफलता पाने के लिए तपस्या, संयम और अनुशासन बहुत जरूरी है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी आराधना से व्यक्ति को तपस्या करने की शक्ति और धैर्य मिलता है। उनकी कृपा से मन शांत और एकाग्र होता है जिससे पढ़ाई-लिखाई और करियर में सफलता मिलती है। जो भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा करते हैं उनके जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। मां ब्रह्मचारिणी भक्तों को त्याग, वैराग्य और अच्छे आचरण की प्रेरणा देती हैं, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है। उनकी पूजा से व्यक्ति को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने की शक्ति मिलती है और वह सही मार्ग पर चलता है।

ऐसे में नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करें, क्या है पूजा सामग्री और कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए, आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा सामग्री

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में इस्तेमाल होने वाली हर चीज का अपना खास महत्व है। सफेद वस्त्र और फूल शुद्धता और सादगी को दर्शाते हैं, जबकि मिश्री का भोग लगाने से जीवन में मिठास और खुशहाली आती है। ये सभी चीजें मां के शांत और तपस्वी स्वभाव को दिखाती हैं।

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  • फूल: गुड़हल, सफेद कमल या कोई भी सफेद फूल।
  • फल: केला, अनार, या कोई भी मौसमी फल।
  • प्रसाद: मिश्री, चीनी या शक्कर।
  • धूप-दीप: घी का दीपक और धूपबत्ती।
  • पूजन सामग्री: गंगाजल, रोली, कुमकुम, अक्षत (साबुत चावल), हल्दी और चंदन।
  • वस्त्र: मां को अर्पित करने के लिए सफेद या हल्के गुलाबी रंग के वस्त्र।
  • अन्य: जनेऊ (यज्ञोपवीत), कमल गट्टा और पान-सुपारी।

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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पूजा शुरू करने से पहले आप जहां पूजा करने वाले हैं, उस जगह को गंगाजल से शुद्ध कर लें।

फिर, पूजा की चौकी पर मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद, मां को सफेद वस्त्र, फूल और माला अर्पित करें। उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत यानी कि चावल चढ़ाएं।

पूजा के दौरान, मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं। इसके बाद, घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं और मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद, मां की आरती करें और अपनी मनोकामनाएं उनसे कहें।

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ऐसा करने से मन को शांति मिलती है और पढ़ाई-लिखाई में सफलता मिलती है। इसके साथ ही, मां का आशीर्वाद मिलता है और व्यक्तित्व में धैर्य एवं सौम्यता बढ़ती है।

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मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र

'ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः' मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करने के कई लाभ हैं। यह जाप व्यक्ति को तपस्या और त्याग की शक्ति देता है। अगर आप कोई मुश्किल काम कर रहे हैं या किसी लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप करने से आपको धैर्य और एकाग्रता मिलती है।

यह जाप मन को भटकने से रोकता है और दिमाग को शांत रखता है। इसके अलावा, जो लोग पढ़ाई-लिखाई या करियर में सफलता चाहते हैं, उन्हें इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।

यह मंत्र ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाता है और सभी बाधाओं को दूर करता है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और वह सही राह पर चलता है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।

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FAQ
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय फूल कौन सा है?
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय फूल कमल है।
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग कौन सा है?
मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री या चीनी का भोग अत्यंत प्रिय है।
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