Papankusha Ekadashi Vrat Katha: पापांकुशा एकादशी नाम से ही इसके महत्व का पता चलता है। यह व्रत पाप से मुक्ति दिलाने का काम करती है। मान्याता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन भर में किए गए पापों का नाश होता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यही नहीं, इस व्रत के पुण्य प्रताप से घर-परिवार के सभी लोगों और पीढ़ियों को भी पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल पापांकुशा एकादशी का व्रत 13 अक्टूबर, दिन रविवार को है। ऐसे में, इस दिन पूजा करने के दौरान व्रत कथा सुनना या पढ़ना भी अहम होता है। आइए ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से पापांकुशा एकादशी व्रत कथा के बारे में जानते हैं।
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पापंकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha In Hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार, विंध्याचल पर्वत पर क्रोधन नाम का एक बहेलिया रहता था। वह बड़ा ही क्रूर और हिंसक स्वभाव का था। उसका सारा जीवन हिंसा, लूटपाट, मद्यपान और गलत संगति में ही बीतता था। एकदिन अचानक उसे जंगल में तपस्या करते हुए अंगिरा ऋषि मिले। उसने ऋषि से कहा मेरा काम बहेलिया का है। इस कारण मुझे न जाने कितने ही निरीह पशु-पक्षियों को मारना भी पड़ा है। मैंने अपने आज तक के जीवन में पाप कर्म ही किए हैं। इसलिए मुझे मृत्यु के बाद नर्क जाना ही मिलेगा। साथ ही उसने महर्षि से विनती करते हुए किसी ऐसे उपाय के बारे में पूछा, जिसे करने स उसके सारे पाप मिट सके और मोक्ष की प्राप्ति हो सके। उसके द्वारा किए गए निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करने को कहा।
महर्षि अंगिरा की बताई गई विधि के अनुसार उस बहेलिए ने अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा। साथ ही, उसने विधि पूर्वक इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से बहेलिया को सारे पापों से छुटकारा मिल गया। पापांकुशा एकादशी के प्रताप से बहेलिए को मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक मिल गया।
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पापांकुशा एकादशी व्रत कथा का महत्व (Papankusha Ekadashi Vrat Katha Significance In Hindi)
पापांकुशा एकादशी को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और पूजा में व्रत कथा सुनने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति का एक अहम साधन माना जाता है। साथ ही इस व्रत के पुण्य प्रताप से पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत कथा को पढ़ने या सुनने मात्र से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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Image credit- Herzindagi
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