World Down Syndrome Day: आपके इस प्रयास से हारेगा ‘डाउन सिंड्रोम’,  नहीं रुकेगी सपनों की उड़ान

डाउन सिंड्रोम का सामना करने के लिए सबसे पहले अभिभावकों को खुद को तैयार करने की जरूरत होती है। असल में बच्चे का पूरा जीवन आपके प्रयासों पर ही निर्भर करता है, इसलिए अगर आपने खुद को डाउन सिंड्रोम पर जीत हासिल करने के लिए तैयार कर लिया तो आपका बच्चा भी इस समस्या पर जीत हासिल कर सकता है।

 
how to combat with mental behavioral problems

डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक समस्या है, जिससे पीड़ित बच्चों का सामान्य जीवन जी पाना मुश्किल हो जाता है। चूंकि आम बच्चों की तरह इन बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है। ऐसे में शारीरिक समस्याओं के कारण जहां इन्हें कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ती है तो वहीं इनकी मानसिक स्थिति दूसरों के लिए भी परेशानी का सबब बनती है।

खासकर, डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के माता-पिता को उनकी देखभाल में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ता है। ऐसे में कई बार पैरेंट्स इसे लेकर बेहद निराश भी हो जाते हैं, यह निराशा डाउन सिंड्रोम पर जीत की राह में सबसे बड़ी बाधा बनती है। असल में अभिभावक के तौर पर आपका प्रयास ही बच्चे को सामान्य जीवन जी पाने में सहायक हो सकता है। लेकिन डाउन सिंड्रोम से निराश अभिभावक अक्सर जागरूकता के अभाव में ऐसा कर पाने से चूक जाते हैं।

इसलिए इस बारे में जागरूकता बेहद जरूरी है और हमारा यह आर्टिकल इस दिशा में छोटा सा प्रयास है। दरअसल, हमने इस बारे में मेंटल हेल्थ थैरेपिस्ट शालिनी श्रीवास्तव से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।

मेंटल हेल्थ थैरेपिस्ट शालिनी श्रीवास्तव कहती हैं कि डाउन सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों की शारीरिक और मानसिक स्थिति सामान्य बच्चों से बिलकुल अलग होती है। ऐसे में सामान्य जीवन जी रहे माता-पिता के लिए ऐसे बच्चों की शारीरिक स्थिति और अलग तरह का मानसिक बर्ताव परेशानी की वजह बनता है। कई बार माता-पिता अपने बच्चे की इस असामान्य स्थिति को स्वीकार ही नहीं कर पाते हैं और ऐसे में उन्हें बच्चे की परवरिश में दिक्कत पेश आती है।

world down syndrome day

ऐसे में डाउन सिंड्रोम का सामना करने के लिए तो सबसे पहले अभिभावकों को इसके लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है। बच्चे का पूरा जीवन आपके प्रयासों पर ही निर्भर करता है। इसलिए अगर आपने खुद को डाउन सिंड्रोम पर जीत हासिल करने के लिए तैयार कर लिया तो आपका बच्चा भी इस समस्या पर जीत हासिल कर सकता है। इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना है, जिसके बारे में हम आपको आगे बताने जा रहे हैं।

सकारात्मक रुख अपनाएं

डाउन सिंड्रोम का सामना करने के लिए सकारात्मक सोच का होना बेहद जरूरी है ताकि कदम-कदम पर आने वाली हर छोटी-बड़ी परेशानियों का सामना आसानी से किया जा सके। बच्चे को बेहतर जीवन देने के लिए अभिभावक को खुद को मानसिक खुद को रूप से तैयार करना होगा। इसके लिए सबसे पहले तो आप इस स्थिति को स्वीकार कर लें और हमेशा उससे बेहतर तरीके से निपटने के लिए सकारात्मक रवैया रखें।

प्यार से बनेगी बात

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों का असामान्य व्यवहार देख कई बार पेरेंट्स के मन में इतनी निराशा बैठ जाती है कि वो बच्चे को प्यार करना ही भूल जाते हैं। जबकि सामान्य बच्चों की तरह इन बच्चों को भी माता-पिता के प्यार और दुलार की जरूरत होती है या कह सकते हैं कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को कहीं अधिक प्यार की जरूरत होती है।

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में समझ भले ही कम हो पर मानवीय संवेदनाएं पूरी होती हैं, ऐसे में अभिभावक का स्नेह इन बच्चों के लिए दवा की तरह काम करता है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित जो बच्चे बोलने में असमर्थ होते हैं, उनके लिए प्यार ही अभिव्यक्ति का जरिया बनता है। इसलिए ऐसे बच्चों को भरपूर प्यार और दुलार देने की कोशिश करें।

बच्चे को दें पूरा वक्त

इस तरह के बच्चों को अभिभावकों को पूरा समय देना चाहिए। सामान्य बच्चे जहां अपनी सोच-समझ से अपनी राह आसानी से बना लेते हैं, वहीं डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को हर कदम पर अभिभावक के सहयोग की जरूरत पड़ती है। ऐसे में दुनियादारी के बाकी काम से वक्त निकालकर बच्चों के साथ पूरा समय बिताएं। इस दौरान उनसे बात करने की कोशिश करें, उनके साथ खेलें और उनकी पसंदीदा गतिविधियों में हिस्सा लें।

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अभिव्यक्ति है जरूरी

बच्चे के साथ समय बिताते वक्त उसे खुद को अभिव्यक्ति करने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए आप बच्चे को पेंटिंग, स्केचिंग,सिंगिंग या कोई भी कलात्मक गतिविधि सीखा सकते हैं। मेंटल हेल्थ थैरेपिस्ट शालिनी श्रीवास्तव बताती हैं कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में कलात्मक रुचि और क्षमता काफी बेहतर होती है। ऐसे में अगर इन बच्चों को उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन मिले तो ये बच्चे कलात्मक क्षेत्र में बेहतर भविष्य बना सकते हैं।

इस तरह से अभिभावक इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखते हुए डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को बेहतर भविष्य देने का प्रयास कर सकते हैं।

उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।

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